कहानी: प्यार के रंग

रजत की बातें सुनकर जिया सन्न रह गई. उसे सहसा अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ. इतनी बड़ी बात कितनी सहजता से कह दी थी उसने,‘‘देखो जिया, मैं बहुत ही प्रैक्टिकल आदमी हूं इसलिए तुमसे साफ़ कह देना चाहता हूं. हमारी शादी में सिर्फ़ चार महीने बचे हैं. एक्सरसाइज़ और फ़िज़ियोथेरैपी करके तुम तब तक ठीक हो गईं तब तो यह शादी होगी अन्यथा मैं अपने जीवन के साथ समझौता नहीं कर सकता.’’

‘‘क्या मतलब, क्या कहना चाहते हो तुम? अगर मैं तब तक ठीक नहीं हुई तो तुम मुझे छोड़ दोगे?’’ जिया उत्तेजित हो उठी थी.

रजत ने गम्भीरतापूर्वक गरदन हिलाई.


जिया आहत होकर बोली,‘‘रजत, शादी के बाद यह ऐक्सिडेंट होता, तब तुम क्या करते? क्या तब भी मुझे छोड़ देते?’’

‘‘जो बात हुई नहीं उसके बारे में मैं क्या कह सकता हूं?’’

क्रोध और दुख से जिया की आंखों में आंसू आ गए. वह बोली,‘‘तुम्हारे इस ऐटिट्यूड को देख मुझे ख़्याल आ रहा है, मेरी जगह तुम्हारा ऐक्सिडेंट हुआ होता और यही बात मैंने कही होती तो तुम्हारे दिल पर क्या गुज़रती?’’

रजत बोर हो उठा, ‘‘प्लीज़ जिया, भावुकता से नहीं व्यावहारिकता से काम लो. फालतू बातें सोचने से अच्छा है, अपने इलाज पर ध्यान दो. कल मैं न्यू यॉर्क जा रहा हूं. तीन माह बाद लौटूंगा. मुझे विश्वास है, तब तक तुम ठीक हो जाओगी.’’ रजत चला गया.


जिया की आंखों से आंसू बहने लगे. किसी ने सच ही कहा है, इंसान की पहचान दुख में होती है. कल तक यही रजत बड़ी-बड़ी बातें करता था. उसके साथ भविष्य के सतरंगी सपने बुनता था, लेकिन इस एक हादसे ने उसे उसकी असलियत से रूबरू करा दिया.

इस समय उसे वे दिन याद आ रहे थे, जब रजत से उसकी पहली मुलाक़ात हुई थी.. दिल्ली की एक कंपनी में उसे जॉब करते हुए दो वर्ष हुए थे. एक बार कंपनी की तरफ़ से उसे और उसकी सहेली नेहा को पांच दिन की आउटडोर वर्कशॉप ‘हाउ टु रिजुवनेट योरसेल्फ़’ पर मसूरी भेजा गया था. उसके उत्साह की सीमा नहीं थी. होटल में नाश्ते के दौरान उनकी मुलाक़ात अलग-अलग कंपीनज़ से आए अन्य लोगों से हुई, जो इसी वर्कशॉप के लिए आए हुए थे. तीस लोगों का बैच था. 


इन्ट्रोडक्टरी सेशन के दौरान वह रजत से मिली. वह सॉफ़्टवेयर इंजीनियर था और जिया की तरह दिल्ली से आया हुआ था. पहली सुबह योगा क्लास के बाद वे लोग रॉक क्लाइम्बिंग के लिए निकले. क्लाइम्बिंग करने के दौरान उनके चारों ओर रस्सी बंधी हुई थी. साथ ही दस्ताने और हैलमेट भी पहनाए गए थे. एक बड़ी-सी चट्टान पर ऊपर से नीचे उतरते हुए वह अपना संतुलन खो बैठी और लटक गई. जिया के मुंह से चीख निकल गई. उसके पास से गुज़रते हुए रजत ने तुरंत उसे सहारा दिया और तब तक थामे रखा जब तक कि गाइड ने रस्सी ढीली कर उसे नीचे नहीं उतार लिया. नीचे पहुंचकर जिया की जान में जान आई.


‘‘आपका बहुत-बहुत शुक्रिया,’’ रजत का आभार व्यक्त करते हुए वह बोली.

रजत मुस्कुराते हुए बोला,‘‘अपना वज़न कुछ कम कर लेंगी तो अच्छा रहेगा.’’

‘‘क्या मतलब है आपका? मैं क्या मोटी हूं?’’ आंखें तरेरकर जिया बोली.

‘‘नहीं-नहीं, आप तो साइज़ ज़ीरो हैं, बिल्कुल करीना कपूर की तरह,’’ रजत की बात पर पास खड़े लड़के-लड़कियां हंस पड़े और वह झेंपकर गई.

अगले दिन बॉटैनिकल गार्डन में प्रॉब्लम शेयरिंग सेशन था. सब अपनी प्रॉब्लम एक दूसरे के साथ शेयर कर रहे थे. जिया ने भी अपनी प्रमोशन न मिलने की प्रॉब्लम सबके सामने रखी. इस पर रजत ने तुरंत कमेंट किया था,‘‘मैडम प्रमोशन पाने के लिए पहले काम करना पड़ता है.’’

‘‘अच्छा, मुझे तो यह बात अब तक पता ही नहीं थी,’’ वह चिढ़कर बोली थी.


लौटते समय उसने नेहा से कहा था,‘‘ये ख़ुद को इतना ओवर स्मार्ट क्यों समझता है?’’

‘‘हो सकता है, तुमसे दोस्ती करने का उसका यह ढंग हो,’’ नेहा मुस्कुराई थी.

‘‘दोस्ती...माई फ़ुट,’’ जिया ने मुंह बिचकाया.

‘‘अच्छा, अब फ़ुट पर शूज़ पहन और कैम्पटी फ़ॉल चलने की तैयारी कर,’’ नेहा के यह कहते ही उसके साथ जिया भी मुस्कुरा दी थी.


शाम को इकट्ठे माल रोड पर घूमने और शॉपिंग करने में सबने ख़ूब एन्जॉय किया. पांचवे दिन जिया और नेहा मसूरी की यादों को दिल में संजोए दिल्ली लौट आए. कुछ ही दिनों में सबका फ़ेसबुक ग्रुप बन गया था. जिया जब भी अपनी कोई फ़ोटो फ़ेसबुक पर डालती, रजत की ओर से बड़े अच्छे कमेंट्स आते. एक शाम वे सब कॉफ़ी हाउस में मिले. गप्पों के बीच उन्होंने आपस में फ़ोन नम्बर भी एक्सचेंज किए. जिया ने नोट किया, रजत उसमें काफ़ी दिलचस्पी ले रहा था. धीरे-धीरे रजत के वाट्सऐप पर मैसेजेस आने लगे. चैटिंग करते करते उनकी आपस में अच्छी मित्रता हो गई. जिया ने महसूस किया, रजत वैसा नहीं है, जैसा वह उसे समझी थी. वह तो बहुत साफ़ दिल और नेक लड़का है. कभी-कभी शाम को वह उसके ऑफ़िस आ जाता और वे दोनों पास के कॉफ़ी हाउस में बैठकर कॉफ़ी पीते हुए प्रोफ़ेशनल के साथ-साथ व्यक्तिगत बातें भी शेयर करते...

धीरे-धीरे जिया को लगने लगा, वह रजत को चाहने लगी है. स्मार्ट होने के साथ साथ वह सौम्य और समझदार भी था. ऐसे ही जीवनसाथी की तो उसने कल्पना की थी. एक दिन रजत का फ़ोन आया. उसने कहा,‘‘कल मेरी छोटी बहन का बर्थडे है. क्या तुम उसके लिए एक अच्छी-सी ड्रेस ख़रीदने में मेरी मदद करोगी?’’


जिया सहमत हो गई. शाम को रजत को शॉपिंग करवाकर वह घर लौटी तो पापा-मम्मी को चिंतित देखा. पापा बोले,‘‘आज आने में बड़ी देर कर दी.’’

‘‘पापा, मेरे एक फ्रेंड को अपनी बहन के लिए ड्रेस ख़रीदनी थी. उसके साथ मॉल गई थी.’’

‘‘देखो जिया, हमने कभी तुम पर पाबंदी नहीं लगाई, लेकिन अब तुम बड़ी हो गई हो और आजकल ज़माना बहुत ख़राब है. यूं किसी के भी साथ चले जाना ठीक नहीं है,’’ पापा की आवाज़ में चिंता थी.

‘‘पापा, रजत बहुत अच्छा और शरीफ़ लड़का है. पिछले छह-सात महीनों से मैं उसे जानती हूं.’’

‘‘ठीक है, उसे घर बुला लो. हम भी उससे मिलना चाहेंगे.’’


जिया ने रजत को बताया. अगले दिन रजत अपनी मम्मी को लेकर जिया के घर पहुंच गया. जिया अचम्भित हो उठी. आख़िर अपनी मम्मी को लेकर रजत क्यों आया था, चाय पीते हुए रजत की मम्मी बोलीं, ‘‘भाईसाहब, रजत अक्सर मुझसे जिया की प्रशंसा करता है. आज जिया से मिलकर मुझे लगा कि वो वास्तव में प्रशंसा के क़ाबिल है. अगर आप लोगों की सहमति हो तो मैं जिया को अपनी बहू बनाना चाहती हूं.’’ मम्मी-पापा ने उसकी राय पूछी तो उसने सिर झुकाकर सहमति दे दी. अब मम्मी-पापा को भला क्यों इनकार हो सकता था? घर बैठे इतना अच्छा इंजीनियर लड़का मिल रहा था और जिया, वह तो सुखद आश्चर्य से अभिभूत थी.

अगले दिन उसने रजत से कहा,‘‘तुमने मुझे कभी प्रपोज़ तक नहीं किया, बस सीधे रिश्ता लेकर मेरे घर चले आए.’’

रजत हंस पड़ा था,‘‘मैंने तुम्हारे मन की बात तुम्हारी आंखों में पढ़ ली थी, फिर प्रपोज़ करने की क्या ज़रूरत थी?’’

शादी तय हो जाने पर दोनों बहुत ख़ुश थे. तभी रजत को कंपनी की तरफ़ से न्यू यॉर्क जाने का चांस मिला. जाने से कुछ दिन पहले रजत ने जिया से कहा,‘‘न्यू यॉर्क जाने से पहले मैं चाहता हूं, हम दोनों अपनी शादी की शॉपिंग कर लें.’’


ये सुनकर जिया ख़ुश हो गई. पता नहीं कैसे रजत उसके मन की बात जान लेता था? अब वह ऑफ़िस के बाद रजत के साथ शॉपिंग के लिए जाने लगी थी. एक सुबह जिया की ऑफ़िस की बस छूट गई. उसने अपना स्कूटर उठाया और ऑफ़िस के लिए निकल पड़ी. अभी वह कुछ ही दूर गई थी कि तभी पीछे से आ रही कार ने धक्का मारा. जिया उछलकर सड़क पर जा गिरी और बेहोश हो गई. दो दिन तक वह आईसीयू में बेहोश पड़ी रही थी. उसके सिर में गम्भीर चोटें आई थीं साथ ही हिप में फ्रैक्चर हो गया था. दस दिन बहुत पीड़ादायक गुज़रे थे. उसके हिप का आपरेशन करके टांग में ट्रैक्शन लगा दिया गया था. अब उसे बिस्तर पर से हिलने की भी मनाही थी. जिया का मन इस स्थिति को स्वीकार नहीं कर पा रहा था. 


कहां तो वह अपनी शादी की तैयारियों में व्यस्त थी और कहां अब असहाय अवस्था में अस्पताल में पड़ी थी. उसका मन बेहद निराश था आंखों से हरदम आंसू बहते रहते थे. दस दिन बाद डॉक्टर ने उसे घर जाने की अनुमति दे दी. घर में सुबह से रात तक उसकी देखभाल के लिए एक नर्स रहती थी. फ़िज़ियोथेरैपिस्ट डॉ शंकर उसे दोनों समय एक्सरसाइज़ करवाने आते थे. सुबह से शाम तक रजत जिया के पास रहता, उसे समझाता कि उसे हिम्मत नहीं हारनी चाहिए. दृढ़ इच्छाशक्ति के दम पर वह बहुत जल्द अच्छी हो जाएगी, लेकिन जिया पर इनमें से किसी की बातों का कुछ असर नहीं पड़ रहा था. रात दिन बिस्तर पर पड़े रहने से वो बेहद चिड़चिड़ी हो गई थी. उसे लगता, अब वह कभी ठीक नहीं हो पाएगी.

एक दिन उसने रजत से यहां तक कह दिया,‘‘अपाहिज की ज़िंदगी भी कोई ज़िंदगी है. इससे तो मर जाना अच्छा है.’’

रजत सिर झुकाए ख़ामोश बैठा रहा था. 5-6 दिनों से जिया रजत में बदलाव महसूस कर रही थी. पिछले दो-तीन दिन से वह घर पर भी नहीं आया था. आज सुबह जब वह आया तो उसने डॉ शंकर से पूछा,‘‘जिया की हालत में क्या कोई सुधार आ रहा है?’’

‘‘कोई ख़ास नहीं दरअसल, ये बहुत निराश हैं. इस तरह तो यह अगले छह माह तक बिस्तर से नहीं उठ सकेंगी.’’

रजत के सब्र का बांध टूट गया. उसने जिया से साफ़-साफ़ कह दिया कि अगर वह जल्दी ठीक नहीं हुई तो वह विवाह नहीं करेगा. सोचते-सोचते जिया का मन क्रोध से भर उठा. उसने सपने में भी नहीं सोचा था, रजत उसके साथ ऐसा व्यवहार करेगा. आख़िर रजत ख़ुद को समझता क्या है? उसका ज़रा-सा ख़राब वक़्त क्या आया, उसने शादी तोड़ने की धमकी दे डाली. क्या वो इतनी निरीह है कि रजत के रहमोकरम पर रहेगी? नहीं, वो रजत को दिखा देगी कि वह कमज़ोर नहीं है. वह तीन माह में ठीक होकर दिखाएगी और उसके बाद ख़ुद ही इस शादी से इनकार कर देगी.

रजत न्यू यॉर्क चला गया. अब जिया में आश्चर्यजनक परिवर्तन आ गया. वो जल्द से जल्द ठीक होने के लिए डॉ शंकर को भरपूर सहयोग देने लगी. टांग से ट्रैक्शन हटने के बाद एक पैर से उसे वॉकर के सहारे चलने की इजाज़त मिल गई थी. एक माह बाद जब वह स्टिक के सहारे अपने दोनों पैरों पर खड़ी हुई तो उसके साथ-साथ मम्मी-पापा की आंखें भी छलछला आईं. पूरी तरह ठीक होने में जिया को तीन माह का वक़्त लग ही गया. अब उसे रजत की बेसब्री से प्रतीक्षा थी. आख़िर वह दिन भी आ पहुंचा, जब न्यू यॉर्क से वापस लौटकर रजत उसके घर आया. लॉन में बैठा वह मम्मी-पापा से बातें कर रहा था, तभी सामने से जिया चलते हुए उसके क़रीब पहुंची. जिया को एकदम ठीकठाक अपने सामने खड़ा देख ख़ुशी से रजत की आंखें चमक उठीं.


वह बोला,‘‘कांग्रेचुलेशन्स जिया, तुम ठीक हो गईं. मैं कहता था न कि दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर इंसान क्या नहीं कर सकता. तुम अंदाज़ा नहीं लगा सकतीं, तुम्हें देखकर मैं कितना ख़ुश हूं. ये देखो, मम्मी ने अपनी होने वाली बहू के लिए यह उपहार भेजा है,’’ कहकर रजत ने एक ख़ूबसूरत ब्रेसलेट अपनी जेब से निकाला.
जिया बोली, ‘‘सॉरी रजत, मैं यह उपहार नहीं ले सकती.’’

‘‘क्यों?’’ रजत हैरान था.

 ‘‘जिस दिन तुमने मेरे आगे शादी की शर्त रखी थी, उसी दिन मैंने सोच लिया था कि अब मैं तुम्हें तीन माह में ठीक होकर दिखाऊंगी और उसके बाद मैं ख़ुद तुमसे विवाह करने से इनकार करूंगी. ऐसे इंसान से मैं विवाह नहीं करना चाहती, जो अपने रिश्ते को लेकर संवेदनशील न हो. जो सिर्फ़ सुख का साथी हो, दुख का न हो,’’ जिया का चेहरा उत्तेजना से लाल हो गया था, लेकिन रजत के चेहरे पर सौम्य मुस्कान फैल गई.


वह कुछ कहता इसके पहले ही जिया के पिता बोल उठे,‘‘जिया, तुम रजत को ग़लत समझ रही हो. उसका इरादा तुमसे शादी तोड़ने का कभी नहीं था. उसने तुमसे जो कुछ भी कहा, तुम्हें प्रोत्साहन देने के लिए कहा. ज़रा सोचो, तुम कितनी निराश हो चुकी थीं? हम सब की समझाइश का भी तुम पर कोई असर नहीं पड़ रहा था. तब हम सब ने सोचा कि तुमसे कुछ ऐसा कहा जाए जो तुम्हें भीतर झकझोर दे. तुम्हारी इच्छाशक्ति मज़बूत करे, तुम्हें प्रोत्साहित करे...’’

मम्मी बोलीं,‘‘हम सकारात्मक रूप से तुम्हें समझा-समझाकर हार रहे थे. तब रजत ने हमसे सलाह करके ही वो सब कुछ

कहा और देख लो, उसका नतीजा. तुम्हारी फ़ाइटिंग स्पिरिट बढ़ी... जल्द ठीक होने का जज़्बा बढ़ा...’’


पापा ने बात संभाली,‘‘हां जिया, इसने जो कुछ भी किया, वो तुम्हें प्रोत्साहित करने के लिए किया...’’

मम्मी ने आगे कहा,‘‘यही नहीं, रजत बाक़ायदा रोज़ रात में हमसे तुम्हारा हालचाल भी पूछता रहा.’’

जिया अपने जीवन में आए इस सुखद ट्विस्ट से हतप्रभ थी. उसकी आंखें भर आईं. यंत्रचालित से उसके हाथ आगे बढ़े. उसने रजत का हाथ थामा और उसके हाथ से ब्रेस्लेट लेकर पहन लिया. रजत के साथ वो प्यार के इतने रंग देखेगी ये तो उसने कभी सोचा भी न था.

कोई टिप्पणी नहीं:

'; (function() { var dsq = document.createElement('script'); dsq.type = 'text/javascript'; dsq.async = true; dsq.src = '//' + disqus_shortname + '.disqus.com/embed.js'; (document.getElementsByTagName('head')[0] || document.getElementsByTagName('body')[0]).appendChild(dsq); })();
Blogger द्वारा संचालित.