कहानी: सपनों के पंख

कन्ग्रैचलैशन्ज़ मानसी, आई एम सो हैप्पी फ़ॉर यू,” कॉन्फ़रंस रूम से बाहर निकलते ही रीमा ने मानसी को गले लगाते हुए कहा,‘‘यू हैव डन इट. मुझे यक़ीन था कि यह प्रोजेक्ट तुम्हें ही असाइन होगा, आफ़्टर ऑल तुम इस कंपनी के लिए किसी ऐसेट से कम तो नहीं हो. इतने कम समय मे तुमने कंपनी को जो फ़ायदा पहुंचाया है, उसका क्रेडिट तो तुम्हें मिलना ही चाहिए.”

‘‘थैंक यू सो मच रीमा मैम. आप जैसी क्वालिफ़ाइड और सीनियर प्रोजेक्ट मैनेजर के साथ काम करने का मुझे मौक़ा मिला, यह क्या मेरे लिए कम सौभाग्य की बात है. आपके गाइडेंस में ही मैं लगातार टारगेट अचीव करने में सफल हो पाई हूं.’’

‘‘डोंट भी सो मॉडेस्ट मानसी, यू डिज़र्व इट. तुम एक कंपीटेंट आर्किटेक्ट हो और हमारे क्लाइंट्स तुम्हारे काम की प्रशंसा करते हैं. चलो मिलते हैं लंच पर. आज मेरी तरफ़ से ट्रीट है,’’ रीमा ने मानसी के गालों को हल्के से छुआ और अपने कैबिन की ओर मुड़ गई.

इस कंपनी में आए हुए मानसी को केवल दो वर्ष ही हुए थे, पर इतने कम समय में ही उसने वहां एक ख़ास जगह बना ली थी. वह भी तो अपने टारगेट्स अचीव करने में कोई कसर नहीं छोड़ती थी. उसके डिज़ाइन्स ऑफ़िस के लिए हों या घर के लिए, बहुत पसंद किए जाते थे और क्लाइंट को समय पर काम देने में भी वह पीछे नहीं रहती थी. इस बार उसे एक रिज़ॉर्ट डिज़ाइन करने का असाइन्मेंट मिला था और इसी बात से रीमा बहुत ख़ुश थी. उसके काम के पैशन को देखकर ऑफ़िस में सभी इंप्रेस थे. रीमा के माध्यम से कंपनी हेड का फ़ीडबैक भी मिलता रहता था. इसीलिए दो साल में दो बार उसे प्रमोशन मिल चुका था. रीमा मैम उसे हमेशा सपोर्ट करती थीं, पर फिर भी कई बार मानसी को लगता था कि कुछ है उनकी मुस्कान के पीछे जो वह देख नहीं पा रही है. लेकिन जब भी वह उसके कंधे थपथपातीं तो वह अपने उन विचारों को अपना भ्रम मात्र समझ झटक देती. और पूरी मेहनत से काम में जुट जाती.

हालांकि कभी-कभी इस बात को लेकर उसकी मनहर से बहस भी हो जाती थी.

‘‘मानसी, आख़िर तुम काम का इतना स्ट्रेस क्यों लेती हो? लेट नाइट्स, घर पर भी काम लाना और हर समय काम के बारे में सोचना...कोई बहुत पुरानी एम्पलॉई तो हो नहीं कंपनी की. जो सीनियर वहां बैठे हैं, कहीं उन्हें तुम्हारा इस तरह इतनी जल्दी आगे बढ़ जाना खटकने न लगे. ऐसी कंपनियां अक्सर तुम जैसे मेहनती और निष्ठावान लोगों को यूज़ करने में भी हिचकती नहीं हैं. तुम बहुत कुछ कर सकती हो और अच्छा काम करके दिखा भी रही हो, यह बात अक्सर किसी इंसान के अगेंस्ट भी चली जाती है. बॉस कभी नहीं चाहता कि उसका जूनियर उससे बेहतर हो. यह ह्यूमन साइकॉलजी है, बस यही समझाने की कोशिश कर रहा हूं.’’

‘‘कैसी बातें कर रहे हो मनहर? काम करूंगी तभी तो प्रोग्रेस करूंगी और हमारी कंपनी में नए लोगों को भी आगे बढ़ने के पूरे अवसर मिलते हैं. मेरी बॉस रीमा बहुत सपोर्टिव हैं. सो जस्ट रिलैक्स.’’

मानसी की बात सुन मनहर मुस्कुराते हुए बोला,‘‘रिलैक्स तो तब करूंगा न जब तुम मुझे अपना क़ीमती समय दोगी? शादी हुए डेढ़ साल हो गए हैं, लेकिन मैडम ने कभी हमें प्रॉपर टाइम दिया ही नहीं.’’

‘‘तो असल बात यह है जनाब,’’ प्यार से मानसी ने मनहर के गालों को सहलाते हुए कहा,‘‘बोलो कितना टाइम चाहिए तुम्हें? कहो तो जॉब छोड़ दूं? आपके लिए तो कुछ भी क़ुर्बान कर सकती हूं,’’ यह कहते-कहते मानसी उसकी बांहों में झूल गई.

‘‘रियली अपना करियर भी...? डोंट बी फ़नी मानसी. तुम एक स्मार्ट, करियर वुमन हो और साथ में इतनी टैलेंट्ड भी. केवल पत्नी बनाकर तुम्हें घर बिठाने की बेवकूफ़ी तो मैं कभी नहीं कर सकता. तुम्हारी सारी एजुकेशन चूल्हे में झोंक दूं, क्या ऐसा टिपिकल और दकियानूसी पति समझा हुआ है तुमने मुझे? यू नो, मैं तो आज का इंटेलिजेंट और अंडरस्टैंडिंग हस्बंड हूं,’’ मनहर ने मानसी को चूमते हुए कहा. उसकी आंखों में शरारत थी और होंठों पर मुस्कान.

‘‘माई डियर इंटेलिजेंट हस्बंड, आख़िर आपका इरादा क्या है...? मन बेईमान हो रहा है क्या?’’

‘‘हां,’’ और मनहर ने मानसी को बांहों में भर लिया.

मानसी इन दिनों कुछ ज़्यादा ही व्यस्त रहने लगी थी. अक्सर उसे क्लाइंट मीटिंग करनी पड़ती थी, क्योंकि उसे बजट और उनकी पसंद को ध्यान में रखकर अपने डिज़ाइन तैयार करने होते थे. क्लाइंट से मिली गाइडलाइंस को ध्यान में रखकर स्कैच और मॉडल बनाकर यथासंभव बेहतर डिज़ाइन का नक्शा तैयार करने में वह घंटों लगा देती. मनहर उसे लंबे समय तक कंप्यूटर पर बैठे देखता रहता, पर उसके डेडीकेशन को देख चुप ही रहता. वह जानता था कि यह उसके लिए काफ़ी चैलेंजिंग प्रोजेक्ट है. उसके डिज़ाइन्स लगभग तैयार हो गए थे. रीमा ने उन्हें अप्रूव कर दिया था, बस क्लाइंट से अप्रूवल लेना था.

इधर मानसी कुछ दिनों से बहुत थकावट महसूस कर रही थी. उसे लगा कि काम के दबाव की वजह से ऐसा होगा. कभी-कभी उसे वॉमेटिंग भी हो जाती थी. उसे लगा कि मौसम का असर होगा इसलिए जब उसने रीमा से एक-दो दिन की छुट्टी लेने की बात की तो वह थोड़ा नाराज़ हो गई.

‘‘दिस इज नो टाइम टू टेक लीव मानसी, यह प्रोजेक्ट जल्दी कंप्लीट करना है हमें. क्लांइट से अप्रूवल मिल जाएगा तो वह काम शुरू कर सकता है और फिर दूसरे शहरों में भी रिज़ॉर्ट बनाने का कांट्रेक्ट भी हमें ही मिलेगा,’’ उसने कहा.

रीमा का व्यवहार मानसी के लिए अप्रत्याशित था. ठीक है कि रीमा बहुत प्रोफ़ेशनल है, पर क्या मानसी को छुट्टी लेने का भी अधिकार नहीं है, वह भी जब वह पूरी तरह से अपने काम के प्रति समर्पित है. मनहर शायद ठीक ही कहता है, उसे कहीं मैनीपुलेट तो नहीं किया जा रहा?

उसके डिज़ाइन्स को क्लाइंट ने जब बहुत पसंद किया तो उसे कंपनी हेड ने पार्टी दी. उसे तब महसूस हुआ कि रीमा उससे कुछ कटी-कटी-सी रहने लगी है. सबका उसकी तारीफ़ करना उसे अख़र रहा था.

‘‘मानसी, इस क़ामयाबी से तुम्हारे काम पर फ़र्क़ नहीं पड़ना चाहिए. प्रोफ़ेशनल लाइफ़ में उतार-चढ़ाव बहुत जल्दी आ जाते हैं. एनी वे, कॉन्ग्रेट्स फ़ॉर योर एचीवमेंट!’’

मानसी ख़ुश थी और मनहर भी. कंपनी हेड ने उसे अपनी ओर से एक सप्ताह की छुट्टी दे दी तो रीमा को बुरा लगा. उसने तपाक से कह भी दिया,‘‘सर, एक और प्रोजेक्ट आ रहा है, वी नीड हर फ़ॉर दैट.’’

‘‘वी कैन वेट फ़ॉर अ वीक,’’ कंपनी हेड का सपाट जवाब आया.

रीमा ने एक झूठी मुस्कान उसकी ओर फेंकी थी. न जाने क्यों तब मानसी के मन ने उससे कहा कि वह जिसे भ्रम मान रही है, उसकी सच्चाई की परतें थोड़ी-थोड़ी उतरने लगी हैं और इससे पहले कि सब साफ़ नज़र आने लगे उसे कुछ सोचना ही होगा. कुछ ऐसा जो उसके सपनों के पंखों को कुतर न सके.

छह महीने बाद उसे एहसास हुआ कि वह मां बनने वाली है तो उसकी और मनहर की ख़ुशी का ठिकाना न रहा.

‘‘तुम्हें बेबी प्लान करके करना चाहिए था मानसी डियर,’’ रीमा के स्वर में थोड़ी झुंझलाहट थी,‘‘यू आर एन एजुकेटेड वुमन. इस समय तुम्हारा करियर तुम्हें बहुत आगे ले जा सकता है. प्रेग्नेंसी, बेबी, फिर बेबी संभालने के लिए बहुत सारी लीव...नो, नो...यू विल फ़िनिश मानसी. डू समथिंग. देखो मेरी शादी को दस साल हो गए हैं पर बेबी के बारे में नहीं सोचा, दिस इज़ द टाइम टू ग्रो, यह मैं जानती हूं. वाय डोंट यू एबॉर्ट दिस चाइल्ड? जस्ट कंसंट्रेट ऑन योर करियर राइट नाउ.’’
रीमा के शब्द तीर की तरह लगे मानसी को. आख़िर कैसे कह सकती है वह ऐसे? वह भी तो एक औरत है. करियर ओरिएंटेड होने का अर्थ यह तो नहीं कि मां बनने का सुख ख़ुद से छीन ले? और प्रेग्नेंसी या उसके बाद बेबी, कैसे तरक़्क़ी की राह में आड़े आ सकता है और वह भी तब जब मनहर जैसा सपोर्टिव हस्बैंड हो? बस, सही तरह से मैनेजमेंट और बैलेंस करने की जरूरत होती है...और उसे यक़ीन है कि वह ऐसा कर सकती है. उसे यक़ीन है कि मनहर हर तरह से उसका साथ देगा. नहीं...वह बच्चे को एबॉर्ट कभी नहीं करेगी.

उसके शरीर में जैसे-जैसे बदलाव आ रहे थे, वैसे-वैसे रीमा के व्यवहार में बदलाव आ रहा था. वह जैसे उसके हाथ से काम खींचने लगी थी. कई बार उसके काम का क्रेडिट भी ख़ुद ले लेती थी, क्योंकि अक्सर अब मानसी को छुट्टी लेनी पड़ती थी.

‘‘तुम आउट ऑफ़ शेप हो रही हो मानसी. ट्राय टू बी फ़िट, वरना तुम्हारी प्रोफ़ेशनल लाइफ़ पर इसका असर पड़ सकता है. यू नो, क्लाइंट्स लाइक एेक्टिव एंड स्मार्ट पीपल,’’ रीमा उसे टोकती रहती.

‘‘डोंट वरी और तीन महीने की बात है. डिलीवरी होते ही मैं वापस अपनी शेप में आ जाऊंगी.’’

‘‘ठीक है. मुझे तुम्हारे वो नए डिज़ाइन्स चाहिए जो तुमने मेहता प्राइवेट लिमेटिड के लिए तैयार किए हैं. मुझे मेल कर देना. यह ऑफ़िस कुछ नए स्टाइल का बनना है. क्लाइंट चाहता है कि इसमें काम करने वालों को घर की फीलिंग आए, ताकि वे सहज होकर काम कर सकें. पता नहीं क्या-क्या आइडिया इन दिनों लोगों पर हावी है.’’
मानसी ने सारी फ़ाइल्स या कहें कि अपनी सारी मेहनत रीमा को मेल कर दी. वह डॉक्टर से चेकअप कराने गई थी और जब दोपहर में ऑफ़िस आई तो पता चला कि उन डिज़ाइन्स के प्रिंट निकालकर रीमा क्लाइंट के पास गई हुई है. अगले दिन जब कंपनी हेड ने रीमा को बधाई दी तब उसे समझ आया कि उसके डिज़ाइन्स अपने नाम से रीमा ने क्लाइंट्स और हेड को दिखाए थे. उसने विरोध करना चाहा. लेकिन उसके सहयोगी सब कुछ जानते हुए भी चुप रहे. कंपनी हेड से अपॉइंटमेंट लेने के लिए जब उसने उनकी सेक्रेटरी से बात करनी चाही तो रीमा ने उसके हाथ में एक लैटर थमा दिया.

‘‘रेस्ट करो मानसी डियर. डोंट वरी आबउट वर्क नाउ. तुम्हारी छह महीने की लीव एप्रूव करा दी है मैंने. बाद में चाहो तो और एक्सटेंड करवा लेना.’’

‘‘बट आई डोंट नीड लीव राइट नाउ, आई कैन कम टू ऑफ़िस ऐंड वॉन्ट टू मीट हेड.’’

‘‘अभी हेड बिज़ी हैं. डोंट स्ट्रेस योर सेल्फ़ डियर. आई विल मैनेज एवरीथिंग. वैसे भी तुम्हारे आने से पहले मैं ही सब मैनेज करती थी.’’

मानसी को लगा कि कुछ कहना बेकार है. उसने सारी फ़ाइल्स कंपनी हेड को मेल कर दीं.

शाम को जब वह निकलने लगी तो देखा उसकी कार का टायर पंक्चर है.

‘‘ओह डियर, डोंट वरी. कम आई विल ड्रॉप यू. वैसे भी न जाने फिर कब तुमसे मिलना हो...’’ रीमा ने जैसे कटाक्ष किया. मानो मां बनने का फ़ैसला कर मानसी ने कोई बहुत बड़ा अपराध कर दिया हो. उसने बहुत प्यार से अपने पेट पर हाथ फेरा मानो आने वाले शिशु से कह रही हो कि तुम मेरे लिए बहुत इम्पॉर्टेंट हो.

‍‘‘रीमा मैम, यहां से राइट नहीं लेफ़्ट ले लीजिए,’’ रास्ते में मानसी ने कार चलाती रीमा को टोका.

‘‘लेकिन तुम्हारा घर तो राइट जाकर आता है न, कहीं और जाना है क्याॽ’’

‘‘जी. आपको कुछ दिखाना है.’’

कार जब एक ऑफिस के आगे जाकर रुकी तो रीमा हैरान रह गई. बाहर बोर्ड पर लिखा था-मानसी डिज़ाइंस ऐंड आर्किटेक्ट कंपनी.

‘‘यह क्या हैॽ’’ रीमा हैरान थी और उसके चेहरे पर जलन के भाव भी थे. लग रहा था कि जैसे उसे करारी मात मिली है. वह ख़ुद को हारा हुआ महसूस कर रही थी.

‘‘मेरी कंपनी मैम. पिछले कुछ महीनों से मनहर के साथ मिलकर मैं इस कंपनी को बना रही थी. समझ लीजिए यह मेरा सपना है. मैं आपको सिर्फ़ यह बताना चाहती हूं कि एक प्रेग्नेंट महिला भी अपने सपनों को पूरा कर सकती है. आनेवाला बच्चा उसकी तरक़्क़ी में बाधा नहीं बन सकता, क्योंकि वह दोनों भूमिकाओं को निभाने में सक्षम होती है. मैं अपने करियर को बहुत महत्व देती हूं, पर संतान सुख को दांव पर लगाकर नहीं. मैं मां बनने के एहसास से वंचित नहीं रहना चाहती थी. आप जैसे और भी लोग हैं, जो समझते हैं कि महिलाएं मां बनने के बाद काम करने लायक नहीं रहतीं. पर महिलाओं में दोनों चीज़ों को संभालने की क्षमता है, मैं आपको यही बताना चाहती थी. मैंने तो अपने बच्चे के साथ मिलकर अपने सपनों को पंख देने के लिए उड़ान भर ली है. एनी वे आप अपना जीवन कैसा चाहती हैं यह आपका आउटलुक है. पर हो सके तो किसी प्रेग्नेंट महिला की भावनाओं को हर्ट मत कीजिएगा. मैं यहां से टैक्सी ले लूंगी. मैंने कंपनी हेड को अपना रेज़िग्नेशन लेटर मेल कर दिया है. गुड नाइट रीमा मैम. और हां बेबी के जन्म की ख़बर भेजूंगी आपको, उसे ब्लेसिंग्स देने आइएगा ज़रूर.’’

मानसी ने पास ही खड़ी टैक्सी को इशारे से बुलाया और धीमे-धीमे चलते हुए टैक्सी में बैठ गई. रीमा कुछ देर तक उसी ऑफ़िस के बाहर खड़ी रही. मानसी की टैक्सी दूर जा चुकी थी. उसके सपनों के पंखों की उड़ान उसे बहुत आगे ले जा चुकी थी...

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