कहानी: अधूरी लड़की

बरसात की एक ख़ासियत है. सब आवाज़ें धुली हुई सुनाई देती हैं. एकदम साफ़. सीमा को अभी बाहर बरामदे में बैठी मां की आवाज़ में गूंथी हुई शबाना की गुनगुनाहट भी अलग से पहचान आ रही थी, टिन शेड पर टपकती बूंदों की टिप टिप भी.

मां रो रही है. ‘पूरी बिरादरी में पता चल गया शबाना. शादी की दूसरी रात ही छोड़ गए इसको.’
शबाना थोड़ा ऊंचे स्वर में बोली,‘तू चिंता मतकर शकुंतला. मैं हूं न.’

‘हां... तू ले जा इसको अभी.... अपने संग ही रखना... बिन बाप के इसे अकेले पाला दुनिया से छिपा के... अब इसके ऊपर हरदम चिपकी हज़ार आंखें न देख पाऊंगी,’ मां बोल रही है.

मां के शब्द ऐसे क्यों हो गए भला...? मां और वो तो तब से सब साझा कर रही हैं, जब वो गर्भनाल से जुड़ी थीं. मां को उसके लुप्त होते हार्मोन के सब राज़ पता हैं. सिर पर जो पहला दुपट्टा ओढ़ा. वो मां का था. पहली बार बिंदी माथे पे लगाई वो भी उसने उनके माथे से हटा कर लगाई थी. मां जानती है कि उसे सजना पसंद है.

उसने एक ही ज़िद की थी. दुल्हन बनने की. मां ने बहुत मना किया पर फिर हार गई.

जानती थी कि सीमा को विजय से सीमारहित मोहब्बत हो गई है. विजय उसके साथ क़स्बे के प्राइवेट स्कूल में पढ़ाता था. वो महज़ दो महीने से उसे जानता है. पर कुछ है उसके बारे में जो वो नहीं जानता था.
और जब जानेगा... अंदाज़ा भी नहीं क्या कर बैठेगा? सीमा को डर लग रहा था, पर वो दुल्हन के जोड़े में बहुत ख़ूबसूरत लग रही थी.

उस रात विजय उसे बस निहारता रहा. कमरे के दरवाज़े पर खड़े हुए उसने बेइंतहा प्यार से फ़्लाइंग किस भेजी. वो पास आया. चंद लम्हे भी न गुज़रे होंगे कि उसने सीमा के मुंह पर ज़ोर से थूका. उसे घसीटता हुआ बाहर ले आया. वो चीख रहा था. ज़मीन से आस्मां तक... ‘धोखा! धोखा!’

सीमा की चीखों का क्या? उसके साथ तो क़ायनात ने ही वफ़ा नहीं की.

वो तेज़ क़दमों से बाहर जाती है. ज़ोर से चिल्लाती है,‘कहते हैं आप किन्नर लोगों की सब दुआएं क़ुबूल होती हैं. मुझे पूरी तरह औरत की देह बनने की दुआ दे दो न!’

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