कहानी: डर
मेजर प्रभास अपने बड़े भाई वीर की शादी में घर आया था. घर में खुशी का माहौल था. वीर बैंगलुरु की एक कंपनी में इंजीनियर था. वीर का जहां रिश्ता हो रहा था उस परिवार में 3 लड़कियों में नेहा सब से बड़ी थी. नेहा के पिता नीलेश जल्दी से जल्दी नेहा की शादी कर के जिम्मेदारी से मुक्त होना चाहते थे. नेहा कुछ दिनों से पुणे में जौब कर रही थी, लेकिन अब शादी के बाद सबकुछ पीछे छूटने वाला था. उस के दोस्त, वे पार्टियां वह होस्टल…
प्रभास के आर्मी में होने से सभी लोग बहुत खुश थे. शादी के भीड़भाड़ वाले माहौल में भी लोग उस के चायपानी, खाने का विशेष ध्यान रख रहे थे. हलदी की रात सभी लोगों ने खूब डांस किया. शादी के दिन प्रभास रोज की तरह सुबह 4 बजे ही उठ गया. प्रभास ने पलट कर देखा तो वीर अपने पलंग से गायब था. उस ने पूरे घर मेें चक्कर लगाया. घूमफिर कर वापस पलंग पर आ कर बैठ गया. तभी उसे पलंग के कोने में रखा वीर का खत मिला, जिस में लिखा था, ‘प्रभास, मुझे माफ कर देना, अनन्या नाम की लड़की से मेरी पहले ही रजिस्टर मैरिज हो चुकी है. वह दूसरी जाति की है और मांपिताजी उसे कभी स्वीकार नहीं करेंगे. इसलिए मैं हमेशा के लिए घर छोड़ कर जा रहा हूं.’
खत पढ़ते ही प्रभास पिता के पास गया. घर के सभी लोग टैंशन में आ गए. सोच में पड़ गए कि लड़की वालों को क्या जवाब दें. अंत में घर के सभी बड़े लोगों ने मिल कर प्रभास को दूल्हा बनाने का निर्णय लिया. परिस्थिति के आगे प्रभास लाचार हो गया. लड़की वालों की सहमति से नेहा और प्रभास का विवाह धूमधाम से संपन्न हुआ. लेकिन प्रभास इस शादी से खुश नहीं था. छुट्टियां खत्म होने से पहले ही वह ड्यूटी पर जाने की तैयारी करने लगा. प्रभास की मां ने नेहा और प्रभास दोनों के बीच की दूरियां कम करने हेतु नेहा को भी साथ ले जाने की जिद पकड़ी.
मांपिताजी की किटकिट सुनने से बेहतर वह नेहा को साथ ले कर श्रीनगर निकल गया. वहां एक दोस्त की पत्नी डिलीवरी के लिए मायके गई थी तो उस का घर खाली था. दोनों वहीं कुछ दिनों तक रहे. रेलगाड़ी के पूरे सफर में प्रभास एक मिनट के लिए भी नेहा के पास नहीं बैठा और दरवाजे के पास जा कर खड़ा रहा. प्रभास का यह रूखा व्यवहार देख कर नेहा की आंखों में आंसू आने लगे.
नेहा को यह शादी नहीं करनी थी. लेकिन मजबूर थी क्योंकि 2 और भी बेटियां अभी मातापिता को ब्याहनी थीं. मन में विचार आया कि पुणे भाग जाए. नेहा अपनी जिंदगी के बारे में सोच रही थी कि तभी प्रभास आया.
‘‘चलो, श्रीनगर आ गया, बैग लो.’’
नेहा बैग ले कर प्रभास के पीछेपीछे चलने लगी. दोनों ने टैक्सी पकड़ी. रात के 12 बज रहे थे. कुछ दूर जाने पर एक दहशतगर्द टैक्सी के सामने आ कर खड़ा हो गया.
‘‘चलो, चलो, नीचे उतरो, नहीं तो सिर पर गोली मार दूंगा. उतरो, देख क्या रहे हो?’’
‘‘निकलो, जल्दी बाहर निकलो,’’ ड्राइवर घबराते हुए चिल्लाने लगा.
‘‘गाड़ी से दूर खड़े हो जाओ.’’ दहशतगर्द ने चिल्लाते हुए कहा.
तभी आर्मी वाले बंदूक ले कर वहां पहुंचे. नेहा और प्रभास एकदूसरे के साथ लेकिन दूरदूर खड़े थे. इस मौके का फायदा उठा कर दहशतगर्द ने नेहा को दबोच लिया और उस के सिर पर बंदूक तान दी, चिल्लाते हुए कहा, ‘‘खबरदार, अगर कोई आगे आया तो. इस लड़की की जान प्यारी है तो मुझे यहां से जाने दो.’’
‘‘मेजर रजत, बंदूक नीचे करो. उसे जाने दो. बादल, तू यहां से जा, लेकिन उस लड़की को छोड़ दे,’’ कैप्टन वसु ने कहा.
‘‘पहले दूर हटो.’’
कुछ ही पल में दहशतवादी बादल नेहा को ले कर फरार हो गया. प्रभास अब पछता रहा था. नेहा को कुछ हुआ तो मैं खुद को कभी माफ नहीं करूंगा. मैं बेवजह ही नेहा से ऐसा व्यवहार कर रहा था. गलती तो मेरे भाई ने की है और मैं गुस्सा नेहा पर निकाल रहा हूं. वह बिलकुल निराश हो गया था.
‘‘मेजर प्रभास, मैं आप की परिस्थिति समझ सकता हूं. हम हर रास्ते पर चैकिंग कर रहे हैं. नेहा जल्दी ही मिल जाएगी.’’
बादल नेहा को ले कर जंगल में पहुंच गया. उस के पैरों से खून निकल रहा था. उस ने नेहा को गाड़ी से बाहर निकाला. दोनों एक पेड़ के नीचे बैठ गए.
‘‘देखो, मुझे जाने दो प्लीज.’’
‘‘छोड़ दूंगा तुझे, कुछ देर चुप बैठ. मैं भागभाग के थक गया हूं. थोड़ा आराम करने दे मुझे.’’
नेहा शांति से बैठ गई. प्रभास के पास वापस जा कर मैं क्या करूंगी? उस के बजाय यह दहशतगर्द मुझे यहीं मार देगा तो अच्छा होगा, इस तरह के विचार उस के मन में उठ रहे थे. बादल एक घंटे बैठा रहा. बीचबीच में वह नेहा की तरफ देख रहा था. हवा से उड़ते नेहा के घुंघराले बाल, गहरी भूरी आंखें, खूबसूरत चेहरा बादल के मन को आकर्षित कर रहा था. बादल के कदम नेहा की तरफ बढ़ने लगे. नेहा अपने ही विचारों में खोई हुई थी.
थोड़ी देर में बादल नेहा के पास आया. उस के दोनों हाथ और मुंह बांध कर उसे जंगल से बाहर हाईवे पर ले गया. हाईवे के करीब जा कर नेहा को अपनी बांहों में ले कर कहा, ‘‘ये भेंट मुझे हमेशा याद रहेगी.’’
हाईवे पर एक फोरव्हीलर आते देख बादल ने नेहा को उस की तरफ ढकेला और एक ही पल में गायब हो गया. फोरव्हीलर में बैठे लोगों ने नेहा को आर्मी वालों को सौंप दिया.
‘‘कैसी हो तुम,’’ प्रभास ने प्यार से पूछा.
‘‘मेजर प्रभास, पहले आर्मी वाले नेहा से पूछताछ करेंगे. इस के बाद तुम पतिपत्नी एकदूसरे से मिलना.’’
आर्मी वाले पूछताछ के लिए नेहा को अंदर ले गए. बाहर खिड़की के पास प्रभास खड़ा रहा. प्रभास नेहा को एक मिनट के लिए भी छोड़ने को तैयार नहीं था.
‘‘बादल तुम्हें कहां ले कर गया था?’’
‘‘गाड़ी एक जंगल में रुकी थी.’’
‘‘ उस ने तुम्हें कोई तकलीफ दी?’’
‘‘नहीं.’’
‘‘तुम उस के साथ कम से कम एक घंटे थीं. वह कुछ बोल रहा था?’’
‘‘कुछ नहीं, बोल रहा था कि मैं भागभाग कर बहुत थक गया हूं.’’
‘‘और कुछ याद आ रहा है?’’
नेहा सिर नीचे कर के थोड़ी देर सोचने के बाद बोली, ‘‘नहीं.’’ लेकिन नेहा का यह जवाब मेजर रजत को झूठ लग रहा था. प्रभास नेहा को ले कर घर आया. पहले उस ने नेहा से मांफी मांगी और वादा किया कि अब इस के आगे कभी कोई गलती नहीं होगी.
शाम को दोस्तों के साथ प्रभास बाहर घूमने गया. नेहा घर में अकेली थी. बड़े दिनों बाद आज नेहा तनावमुक्त लग रही थी. वह निश्चित हो कर बैड पर लेटी हुई थी. तभी दरवाजे की घंटी बजी. खोला तो वहां एक बुके और एक चिट्ठी पड़ी थी. नेहा ने जल्दी से चिट्ठी खोली, उस में लिखा था, ‘ये भेंट तुम्हें हमेशा मेरी याद दिलाएगी.’ इतना पढ़ते ही नेहा ने तुरंत वह बुके और चिट्ठी दोनों रास्ते पर फेंक दिए और भाग कर घर में आई और दरवाजा बंद कर के रोने लगी. बड़ी मुश्किल से तो प्रभास और नेहा एकदूसरे के करीब आए थे कि यह दूसरी मुसीबत खड़ी हो गई.
प्रभास रात 8 बजे घर आया. लेकिन नेहा के पास प्रभास से बादल के बारे में बात करने की हिम्मत नहीं थी. दूसरे दिन दोनों शौपिंग करने मौल गए. नेहा ने कुछ ड्रैस खरीदीं और ट्रायल के लिए जैसे ही चैंजिंग रूम में गई, बादल ने अपने हाथों से उस का मुंह दबा दिया. नेहा के शांत होने पर उस ने अपना हाथ हटाया.
‘‘देखो, मेरा पीछा मत करो. तुम क्यों मुझे परेशान कर रहे हो?’’
‘‘तुम्हारी आवाज तुम से भी ज्यादा सुंदर है.’’
‘‘तुम्हारा कुछ नहीं हो सकता है,’’ नेहा ने झटके से दरवाजा खोला.
‘‘हम ऐसे ही रोज मिल सकते हैं. तुम्हारे पति को कुछ पता नहीं चलेगा.’’
‘‘क्यों मिलूं, मैं नहीं मिलना चाहती,’’ नेहा जल्दी से भागी और प्रभास के पास जा कर खड़ी हो गई.
थोड़ी देर में आर्मी वालों की तरफ से खबर मिली कि बादल मौल में आया था. मौल में सीसीटीवी में वह नेहा के साथ दिखाई दे रहा है. प्रभास यह खबर सुन कर हैरान हो गया. प्रभास आर्मीवालों के साथ घर पहुंचा.
‘‘तुम बादल को कैसे पहचानती हो?’’
‘‘मैं उसे नहीं पहचानती हूं. वह मेरे पीछे पड़ा हुआ है.’’
‘‘शायद वह तुम्हारे प्यार में पड़ गया है. देखो नेहा, आज के बाद तुम बादल को पकड़ने में हमारी मदद करोगी,’’ कैप्टन वसु ने कहा.
‘‘ठीक है, मैं कोशिश करूंगी.’’
योजनानुसार, प्रभास और नेहा कुछ दिनों के लिए एक हिल स्टेशन पर गए. हफ्ता बीत गया, लेकिन बादल नहीं आया. अंत में वे घर आ गए. प्रभास रोज की तरह शाम को घूमने गया. नेहा के मन में बादल के ही विचार घूम रहे थे. तभी बादल खिड़की से कूद कर अंदर आया.
‘‘तुम मेरे बारे में ही सोच रही हो न.’’
‘‘हां, लेकिन तुम इतने दिनों से कहां गायब थे?’’ बादल को घर में रोकने के लिए नेहा उस से मीठीमीठी बातें करने लगी.
‘‘देखा, अब तुम भी मुझ से मिले बिना नहीं रह सकती हो. इसी को प्यार कहते हैं.’’
‘‘हां, हम कल फिर से मिलेंगे.’’
‘‘कल पास वाले मौल के थिएटर में मिलेंगे, अभी मैं जा रहा हूं, नहीं तो तुम्हारा पति आ जाएगा.’’
बादल गया और 5 मिनट में ही प्रभास आ गया.
‘‘वह आया था,’’ नेहा बोली.
‘‘कौन? बादल?’’
‘‘हां, कल मौल के पास थिएटर में बुलाया है उस ने.’’
‘‘बहुत अच्छा. कल तुम थिएटर अकेले जाओगी.’’
‘‘क्या…?’’
‘‘घबराओ मत. आर्मीवाले सादी ड्रैस में तुम्हारे आसपास ही रहेंगे. मैं यदि तुम्हारे साथ रहूंगा, तो वह कल भी पकड़ में नहीं आ पाएगा.’’
दूसरे दिन सुबह नेहा थिएटर जाने के लिए निकली. तय समय
पर नेहा वहां पहुंच गई. थोड़ी ही देर में बादल वहां मोटरसाइकिल से आया. थोड़ी ही देर में आर्मी वालों ने उसे दबोच लिया. उसे भागने का मौका नहीं मिल पाया. आर्मी वालों को देख कर बादल गुस्सा होने लगा.
‘‘धोखा दिया तुम ने, नेहा, यह ठीक नहीं किया. तुम्हें यह बहुत महंगा पड़ेगा.’’
‘‘अरे, तुम हमारे भारतमाता को धोखा दे रहे हो, इसलिए तुम्हारे साथ विश्वासघात करने का मुझे कोई दुख नहीं है.’’
थोड़ी देर में प्रभास वहां पहुंचा. उसे देखते ही नेहा रोने लगी.
‘‘बसबस, अब रोने के दिन खत्म हो गए. जल्दी ही हम कुछ दिनों के लिए गांव जाएंगे.’’
प्रभास के शब्दों से नेहा को साहस मिला और उस के जीवन में खुशियों की शुरुआत हो गई. लेकिन कभीकभी बादल की आंखें और उस की आवाज के बारे में सोच कर वह आज भी डर जाती है.
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