कहानी - रूहानी इलाज

‘‘नहीं…नहीं,’’ चीखते हुए रेशमा अचानक उठ बैठी, तो उस का पति विवेक भी हड़बड़ा कर उठ बैठा और पूछने लगा, ‘‘क्या हुआ?’’

‘‘वही डरावना सपना…’’ कहते हुए रेशमा विवेक से लिपट कर रो पड़ी.

‘‘घबराओ नहीं, सब ठीक हो जाएगा,’’ विवेक रेशमा को हिम्मत देते हुए बोला, ‘‘शाम को जब मैं दफ्तर से लौटूंगा, तब तुम्हें डाक्टर को दिखा दूंगा.’’

विवेक और रेशमा की शादी को 2 साल हो गए थे, पर रेशमा को अभी तक जिस्मानी सुख नहीं मिल पाया था. वह इस बारे में न तो किसी से कह सकती थी और न इस से नजात पा सकती थी. बस, मन ही मन घुटती रहती थी.
विवेक रात को दफ्तर से वापस आता, तो थकामांदा उस के साथ सोता. फिर पलभर के छूने के बाद करवट बदल लेता और रेशमा जिस्मानी सुख को तरसती रह जाती. ऐसे में बच्चा पैदा होने की बात तो वह सोच भी नहीं सकती थी.

विवेक के दफ्तर जाने के बाद रेशमा की पड़ोसन सीमा उस से मिलने आई और हालचाल पूछा. बातोंबातों में रेशमा ने सीमा को अपने सपनों के बारे में बता दिया.

सीमा बोली, ‘‘घबरा मत. सब ठीक हो जाएगा. यहीं नजदीक में ही एक तांत्रिक पहलवान हैं. वे तंत्र विद्या से रूहानी इलाज करते हैं. उन्होंने कइयों को ठीक किया है. तू भी चलना, अगर मुझ पर भरोसा है तो.’’

‘‘नहीं सीमा, आज शाम विवेक मुझे डाक्टर के पास ले जाने वाले हैं,’’ रेशमा ने कहा, तो सीमा बोली, ‘‘छोड़ न डाक्टर का चक्कर. पहले मोटी फीस लेगा, फिर ढेर सारे टैस्ट लिख देगा और ज्यादा से ज्यादा नींद आने या तनाव भगाने की दवा दे देगा. तुझ पर तो किसी प्रेत का साया लगता है. ये बीमारियां ठीक करना डाक्टरों के बस की बात नहीं. आगे तेरी मरजी.’’

सीमा की बात रेशमा पर असर कर गई. उसे लगा कि तांत्रिक को दिखाने में हर्ज ही क्या है. कुछ सोच कर उस ने हामी भर दी और विवेक को मोबाइल फोन मिला कर सब सच बता दिया.

सीमा और रेशमा तांत्रिक पहलवान के पास पहुंचीं. वहां बाहर ही बड़ा सा बोर्ड लगा था, जिस पर लिखा था, ‘यहां हर बीमारी का शर्तिया रूहानी इलाज किया जाता है’.

उन्होंने तांत्रिक से मिलने की इच्छा जताई, तो वहां बैठे तांत्रिक के अर्दली ने उन्हें बाहर बैठा दिया और बोला, 

‘‘अभी पहलवान पूजा सिद्ध कर रहे हैं.’’ फिर वह बड़ी देर तक उन से बातें करता रहा और उन के मर्ज के बारे में  भी पूछा. थोड़ी देर बाद अर्दली पहलवान से इजाजत लेने अंदर गया.

तभी एक और औरत आ कर उन के पास बैठ गई और इन से मर्ज पूछा. साथ ही बताया कि पहलवान बहुत अच्छा इलाज करते हैं.

रेशमा ने उस औरत को सारा मर्ज बता दिया और पहलवान के बारे में जान कर उस का भरोसा और बढ़ गया. इतने में अर्दली आया और बोला, ‘‘चलिए, आप को बुलाया है.’’

अंदर एक मोटीमोटी आंखों वाला लंबाचौड़ा आदमी माथे पर पटका बांधे बैठा था. कमरे में दीवारों पर तंत्रमंत्र लिखे कई पोस्टर लगे थे. चारों ओर धूपबत्ती का धुआं फैला था. वहां सिर्फ जीरो वाट का एक लाल बल्ब रोशनी फैलाता माहौल को और डरावना बना रहा था.

वह आदमी मोबाइल फोन पर किसी से बात कर रहा था. उस ने बात करतेकरते इन्हें बैठने का इशारा किया. फिर बात खत्म कर इन की ओर मुखातिब हुआ, तो रेशमा ने कुछ दबी सी जबान में अपनी बात कही.

रेशमा की दास्तां सुन कर पहलवान तांत्रिक बोला, ‘‘तुम्हें डरावने सपने आते हैं. पति की कमजोरी का खमियाजा भुगत रही हो और न किसी से कह सकती हो और न सह सकती हो. अभी तक कोई बच्चा भी नहीं है… सब के ताने सहने पड़ते हैं…’’

रेशमा हैरान थी कि तांत्रिक यह सब बिना बताए कैसे जानता है. लेकिन उसे वह पहुंचा हुआ तांत्रिक लगा व इस से उस पर रेशमा का भरोसा बढ़ गया.

फिर वह उन से बोला, ‘‘लगता है कि किसी बुरी आत्मा की छाया है तुम पर, जिस ने तुम्हारे दिमाग पर कब्जा कर रखा है. इस का इलाज हो जाएगा, लेकिन जैसा मैं कहूं वैसा करना होगा. 4-5 बार झाड़फूंक के लिए बुलाऊंगा. नतीजा खुद तुम्हारे सामने आ जाएगा.’’

रेशमा को उस के रूहानी इलाज पर भरोसा हो गया था, इसलिए वह रूहानी इलाज के लिए तैयार हो गई और फीस के बारे में पूछा.

इस पर तांत्रिक बोला, ‘‘अपनी मरजी से कुछ भी दे देना. मनमांगी फीस तो हम तब लेंगे, जब काम हो जाएगा. हमें पैसों का कोई लालच नहीं है,’’ कहते हुए तांत्रिक ने नजर से नजर मिला कर रेशमा की ओर देखा.‘‘ठीक है,’’ कह कर रेशमा ने इलाज के लिए हामी भरी, तो सीमा को बाहर भेज कर तांत्रिक ने कमरा बंद कर लिया.

तांत्रिक ने रेशमा को भभूत लिपटा एक लड्डू दिया और वहीं खा कर जाने को कहता हुआ बोला, ‘‘2 दिन बाद फिर आना. पूरी विधि से झाड़फूंक कर दूंगा. असर तो आज से ही पता चल जाएगा तुम्हें.’’

घर पहुंच कर रेशमा को कुछ हलकापन महसूस हो रहा था. उसे लग रहा था कि इस रूहानी इलाज का उस पर असर जरूर होगा. वह चिंतामुक्त हो बिस्तर पर पसर गई. कब आंख लगी, उसे पता ही न चला. आंख खुली तब, जब विवेक ने दरवाजा खटखटाया.

‘ओह, आज कितने अरसे बाद इतनी गहरी नींद आई है. शायद यह रूहानी इलाज का ही असर है,’ रेशमा ने सोचा और दरवाजा खोला.

चाय पीते समय रेशमा ने विवेक को तांत्रिक की बात बता दी. रेशमा को तरोताजा देख कर विवेक को भी यकीन हो गया कि इस इलाज का असर होगा. लेकिन चुटकी लेता हुआ वह बोला, ‘‘कहीं तांत्रिक ने नींद की दवा तो नहीं डाल दी थी लड्डू में, जो घोड़े बेच कर सोई थी?’’

2 दिन बाद रेशमा को फिर तांत्रिक पहलवान के पास जाना था. उस ने फोन कर के पहलवान से मिलने का समय ले लिया और तय समय पर पहुंच गई.

तांत्रिक ने पहले की झाड़फूंक का असर पूछा, तो रेशमा ने बता दिया कि फर्क लग रहा है.

तांत्रिक की घूरती निगाहें अब रेशमा के उभारों का मुआयना कर रही थीं. जीरो वाट के बल्ब की लाल रोशनी में धूपबत्ती के धुएं और बंद कमरे में तांत्रिक ने एक बार फिर रेशमा की झाड़फूंक की और उस से करीबी बनाने लगा.

फिर उस ने रेशमा को भभूत लिपटा लड्डू खाने को दिया, जिसे खाने पर वह बेहोश सी होने लगी. असर होते देख तांत्रिक पहलवान ने रेशमा को अपनी बांहों में जकड़ लिया. अब तांत्रिक को मुंहमांगी मुराद मिल गई थी. उस ने रेशमा के अंगों के साथ खुल कर खेलना शुरू कर दिया.

मनमुताबिक भोगविलास के बाद तांत्रिक पहलवान ने रेशमा को घर भेज दिया. घर आ कर रेशमा बिस्तर पर पड़ गई.

उसे तांत्रिक की इस हरकत का पता चल गया था, लेकिन उस ने जिस्मानी सुख का सुकून भी पाया था, जिसे वह खोना नहीं चाहती थी.

अगली बार रेशमा तांत्रिक के पास गई, तो खुला दरवाजा देख बिना इजाजत अंदर जा पहुंची. अंदर का नजारा देख कर वह दंग रह गई. अंदर तांत्रिक उसी औरत की बांहों में बांहें डाले बैठा था, जिसे उस ने पहले दिन वहां देखा था और सारा मर्ज बताया था.

रेशमा समझ गई कि यह तांत्रिक की ही जानकार है और इसी ने मरीज बन कर सब जान लिया और फोन पर तांत्रिक को बताया था, तभी तो तांत्रिक फोन पर बात करता मिला और हमारे बारे में सब सचसच बता पाया.

रेशमा को देखते ही वह औरत तांत्रिक से अलग हो गई और कमरे से बाहर चली गई. रेशमा भी सबकुछ जानने के बावजूद खामोश रही.

तांत्रिक ने रूहानी इलाज शुरू किया और रेशमा खुद को उस के सामने परोसती चली गई.

अब रेशमा जबतब पहलवान के पास इलाज के बहाने पहुंच जाती और देहसुख का लुत्फ उठाती.

उस दिन रेशमा की सास उन के यहां आई हुई थी. उसे जोड़ों का दर्द व बुढ़ापे की अनगिनत बीमारियां थीं, जिस के लिए विवेक ने उन्हें पहलवान के पास ले जाना चाहा था.

तभी रेशमा उबकाई करती दिखी, तो सास और खुश हो गईं. वे विवेक को बधाई देते हुए बोलीं, ‘‘सचमुच पहलवान का इलाज कारगर है, जो बहू पेट से हो गई.’’ लेकिन रेशमा के मन में हजारों शक पनपने लगे थे. उस ने किसी तरह सास को इलाज के लिए ले जाने को टरकाया व पहलवान से छुटकारे की योजना सोचने लगी.

इधर कुछ दिन से रेशमा को न पा कर पहलवान का दिल मचलने लगा था. उस ने रेशमा को फोन कर के बुलाना चाहा. रेशमा ने आनाकानी की और बताया कि इस से उन के संबंध का भेद खुलने का खतरा है. पर पहलवान की बेचैनी हद पर थी.

तांत्रिक पहलवान बोला, ‘‘अगर तुम नहीं आओगी, तो मैं तुम्हारे इस संबंध के बारे में खुद तुम्हारे पति को बता दूंगा.’’

अब रेशमा दुविधा में थी. पति को बताए तो परेशानी और न बताए तो पहलवान का डर. रेशमा को खुद को बचाना मुश्किल हो रहा था.

उधर पहलवान तांत्रिक ने दोबारा फोन कर के धमकाया, ‘अगर तुम यहां नहीं आईं, तो तुम्हारे पति को बता दूंगा.’

रातभर रेशमा बचने का उपाय सोचती रही. उसे लग रहा था, जैसे उसे पुरानी बीमारी ने फिर आ जकड़ा था. वह गहरे तनाव में थी. अचानक उस के दिमाग में कुछ आया और वह निश्चिंत हो कर सो गई.

सुबह उठी और बाहर जा कर पहलवान को फोन कर दिया कि शाम को वह उस के पास आएगी. इस से वह खुश व संतुष्ट हो गया.

साथ ही, उस ने अपने पति विवेक को विश्वास में लिया और बोली, ‘‘देखो, तुम सासू मां का इलाज पहलवान से करवाने की कह रहे थे, लेकिन मैं तुम्हें बता दूं कि वह ठीक आदमी नहीं है. मंत्र पढ़ते समय उस ने मुझे भी कई बार छूने की कोशिश की.’’

सुनते ही विवेक आगबबूला हो गया और बोला, ‘‘तुम ने पहले क्यों नहीं बताया? मैं करता हूं उस का रूहानी इलाज. आज ही उस के खिलाफ पुलिस में शिकायत करता हूं.’’

रेशमा ने उसे रोका, उसे खुद को भी तो बचाना था. फिर वह बोली, ‘‘मैं आज शाम इलाज के लिए वहां जाऊंगी… अगर उस ने ऐसी कोई बात

अब रेशमा रूहानी इलाज करने वाले पहलवान तांत्रिक के पास पहुंची. रेशमा को देखते ही पहलवान खुश हो गया. वह झूठा गुस्सा दिखाते हुए बोला, ‘‘तुम समझती क्या हो खुद को? मैं जब बुलाऊं तुम्हें आना होगा, वरना मैं तुम्हारे पति को सब बता दूंगा,’’ कहते हुए उस ने दरवाजा बंद किया और रेशमा को अपनी बांहों में जकड़ने लगा. तब तक रेशमा अपने पति को मिस काल कर के संकेत दे चुकी थी.

थोड़ी ही देर में विवेक पुलिस को ले कर आ पहुंचा. पहलवान रंगे हाथों पकड़ा गया. पुलिस उस के कमरे पर ताला जड़ कर उसे साथ ले गई.

उधर रेशमा खुश थी. उस ने एक तीर से दो निशाने जो साधे थे. एक तो उस ने रूहानी इलाज के बहाने जिस्मानी भूख खत्म की, फिर तांत्रिक को पकड़वा कर खुद को उस के चंगुल से निकाल लिया था. साथ ही, पति की नजरों में भी उस ने खुद को बेदाग साबित कर लिया था.

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