भ्रष्टाचार कीजिए, सुरक्षित रहिए


क्या कहा? हर रोज सामने आते लाखोंकराड़ों रुपए (2जी स्पैक्ट्रम घोटाला, राष्ट्रमंडल खेल घोटाला आदि) के नएनए घोटालों ने आप के दिमाग को चकरघिन्नी कर दिया है. इन बड़ेबड़े घोटालों की रकम के शून्य देख कर आप के दिमाग के बल्ब का फ्यूज उड़ गया है. इतनी बड़ी धनराशि के विषय में सोच कर और उस के प्राप्त होने की कल्पना मात्र से आप रोमांचित हो उठते हैं. हमारे माननीयों की तरह इन्हें पाना ही अब आप के जीवन का अंतिम लक्ष्य है और अपनी इस लक्ष्यप्राप्ति के लिए आप किसी भी सीमा तक जा सकते हैं. इस भारीभरकम रकम के प्राप्त होने से अपने सुखद तथा सुरक्षित भविष्य की कल्पना से आप का मन भी विचलित होने लगा है. आप भी भ्रष्टाचार की इस बहती गंगा में डुबकी लगा कर अपना जीवन धन्य कर लेना चाहते हैं. किसी भी कीमत पर भ्रष्टाचार कर धन कमाने की आप की इच्छा कुलांचें मारने लगी है. आप भी पूर्ण गंभीरता से भ्रष्टाचार करने के विषय में सोचने लगे हैं. लेकिन पकड़े जाने के डर ने आप को मजबूरी में ही सही ईमानदारी का अप्रिय रास्ता अपनाने पर मजबूर किया हुआ है.

आप की बुजदिली आप की प्रगति के मार्ग में बाधक बन रही है. आप के विकास के रास्ते को रोक रही है. आप चाह कर भी अपना प्रिय मार्ग, जो आप को हमेशा लुभाता व ललचाता है, को नहीं अपना पा रहे हैं. बेईमान बनने की चाह रखते हुए भी गले में ईमानदारी का ढोल लटका कर पीटना पड़ रहा है. इस लादी गई ईमानदारी से बाहर निकलने का आप को कोई मार्ग नहीं सूझ रहा है. निराश मत होइए हम यहां आप को कुछ ऐसे आसान मार्ग बता रहे हैं जिन को अपनाने, जिन पर चलने के बाद आप को भ्रष्टाचार करने में न तो किसी प्रकार की शर्म महसूस होगी और न ही किसी प्रकार का भय ही सताएगा. उलटे आप पूरी दबंगई के साथ दोनों हाथों से धन कमाने और दुनिया भर के विदेशी बैंकों में धन जमा करने में लग जाएंगे. जहां पर आप का धन आप के विरोधियों की कुदृष्टि से दूर पूरी तरह सुरक्षित होगा.

इन आसान उपायों के साथ  आप निसंकोच, पूरी बेशर्मी ओढ़ कर भ्रष्टाचार करें और इतना भ्रष्टाचार करें कि सिर्फ स्वयं या अपने परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि अपने खानदान तथा मित्रों के लिए भी वैतरणी की व्यवस्था करें. अपनी सात पीढि़यों के लिए कभी न समाप्त होने वाले धन के अकूत खजाने का संग्रह करें. आप को रोकना तो दूर रहा, आप को भ्रष्टाचार करता देख लोग स्वयं दूसरी ओर मुंह कर लेंगे, जैसे उन्होंने कुछ देखा ही न हो. आप की ओर उंगली उठाने की तो किसी में हिम्मत ही न होगी. आप को डराना या भयभीत करना तो दूर उलटे लोग आप से ही भय खाएंगे. आप की हर गतिविधि को झेलने के लिए यह कृतज्ञ राष्ट्र बाध्य होगा, अन्य रास्ता होगा भी तो नहीं. तो लीजिए, आप की व्यग्रता को और न बढ़ाते हुए प्रस्तुत हैं हमारे उपाय.

यदि आप ने बहती गंगा में नहाने (हाथ धोने का नहीं) का निर्णय ले ही लिया है तो हमारी सलाह है कि सब से पहले आप किसी राजनैतिक दल (क्षेत्रीय हो तो और भी अच्छा) के सदस्य बन कर जनसेवा के क्षेत्र में आ जाएं. आप के दल के गठबंधन के सत्ता में आते ही आप के हाथों में भ्रष्टाचार का लाइसैंस आ जाएगा. फिर इस लाइसैंस का आप चाहे जैसा उपयोग करें. कोई आप को रोकनेटोकने वाला नहीं है. मुसीबत आने या विपक्षियों द्वारा हल्ला मचाने पर गठबंधन सरकार से समर्थन वापसी की आप के क्षेत्रीय दल की धमकी सरकार को आप के विरुद्ध कड़े कदम उठाने से रोकेगी. अल्पमत में आने के बदले कोई भी सरकार आप को बचाने, आप के मामलों को दबाने की अधिक कोशिश करेगी. वैसे भी इतिहास गवाह है कि भ्रष्टाचार के आरोप हमारे माननीयों पर चाहे जितने लगे हों, पर सजा शायद ही किसी को हुई हो और शायद होगी भी नहीं. सभी राजनैतिक दल भ्रष्टाचार के मामलों में बिना लाजशर्म के अपने सदस्य का बचाव करते हैं. विपक्ष द्वारा छवि बिगाड़ने के लिए किया गया दुष्प्रचार कह कर भ्रष्टाचार के गंभीर से गंभीर मामलों में वे अपनों का बचाव करते हैं. दूरसंचार मंत्री ए राजा का नाम 2जी स्पैक्ट्रम घोटाले में आने के बावजूद द्रविड़ मुनेत्र कषगम यानी द्रमुक पार्टी उन्हें ही मंत्री बनाए रखने की जिद पर अड़ी हुई थी और बहुत दिनों तक तो वह अपनी इस ब्लैकमेलिंग में कामयाब भी रही.

यदि आप के दल ने दबाव में आ कर आप को निष्कासित कर दिया है तो भी परेशान होने की कोई बात नहीं है. आप क्षेत्रीय दल बना कर चुनावों में ताल ठोक सकते हैं. विश्वास रखिए, गठबंधन सरकारों के इस दौर में वही दल, जिस ने चुनावों के पूर्व आप को निष्कासित किया था व आप से किनारा किया था, चुनावों के बाद आप के साथ मिल कर सरकार बनाने के लिए उतावला नजर आएगा. अब वह आप की सभी शर्तें मानने तथा मलाईदार विभाग देने के लिए बाध्य होगा. भारतीय राजनीति का इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरा पड़ा है. पंडित सुखराम का उदाहरण याद है न, जिन्होंने निष्कासन के बाद हिमाचल विकास कांगे्रस की स्थापना की थी और विधानसभा चुनावों के बाद दोनों शीर्ष राजनैतिक दल (जो चुनाव के समय उन्हें भ्रष्टाचारी कहते थे) उन के साथ मिल कर सरकार बनाने के लिए उतावले थे.

भ्रष्टाचार के मामलों में आप का धर्म भी आप के लिए बहुत मददगार साबित हो सकता है. भ्रष्टाचार के किसी भी मामले में फंसने पर आप इसे एक धर्मविशेष के लोगों के साथ हो रहे अन्याय के साथ जोड़ सकते हैं. एक बार जहां आप ने अपने भ्रष्टाचार को धर्म से जोड़ा तो लाख भ्रष्टाचारी होने पर भी आप की विजय सुनिश्चित हुई समझिए, क्योंकि इस धर्मभीरु देश में किस की हिम्मत है, जो धर्म से भिड़ने की जुर्रत कर सके. भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन का उदाहरण याद है न, स्वयं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने पर उन्होंने स्वयं का बचाव करने के लिए अपने धर्म का ही सहारा लिया था. ये महाशय आजकल सांसद हैं.

आप अपने भ्रष्टाचार को अपनी जाति के माध्यम से भी उचित ठहरा सकते हैं. जब दूसरी जाति वाले भ्रष्टाचार कर साफ बच रहे हैं तो अकेले आप को ही क्यों बलि का बकरा बनाया जा रहा है? अपने विरुद्ध जांच को आप अपनी पूरी जाति के विरुद्ध अत्याचार के रूप में प्रदर्शित कर सकते हैं. आप कह सकते हैं कि आप के प्रति जातिगत पूर्वाग्रह तथा दुर्भावना के कारण भ्रष्टाचार के इन मामलों को उठाया जा रहा है, वरना तो आप के विरुद्ध कोई केस बनता ही नहीं है. बंगारू लक्ष्मण का उदाहरण याद है न. भारतीय जनता पार्टी के भूतपूर्व अध्यक्ष जब भ्रष्टाचार के मामलों में रंगे हाथ पकड़े गए, तो स्वयं की जाति की आड़ ले कर ही बचने की कोशिश की थी. देश के सब से बड़े राज्य की मुख्यमंत्री जब भी भ्रष्टाचार के किसी नए मामले (ताज कौरीडोर) में फंसती हैं, स्वयं को ‘दलित की बेटी’ बता कर बचने की कोशिश करती हैं. जाति का नाम लेले कर लोग कहां से कहां पहुंच गए? जाति की आड़ में लोगों ने कैसेकैसे किए और आप जरा सा भ्रष्टाचार करने में घबरा रहे हैं? विश्वास कीजिए, आप की जाति आप को भ्रष्टाचार करने के लिए थोड़ीबहुत नहीं, पूरी छूट देती है. यह आप के लिए एक ऐसे सुरक्षा कवच का काम करती है, जिसे भेदना अच्छेअच्छों के बस की बात नहीं, इसलिए जातिप्रधान इस देश में जाति के महत्त्व का भरपूर दोहन करें.

यदि आप देश की रक्षा के नाम पर भ्रष्टाचार करना चाहते हैं तो आप का इस क्षेत्र में हार्दिक स्वागत है. यह इतना संवेदनशील मामला है कि देश की सुरक्षा के नाम पर आप बखूबी अपने कार्य को अंजाम दे सकते हैं. यह इतना सुरक्षित क्षेत्र है कि वर्ष दर वर्ष बीत जाते हैं, लेकिन असली अपराधी को पकड़ना तो दूर रहा, उस की पहचान तक नहीं हो पाती है. बोफोर्स तोप भूल गए जिन की धमक आज भी भारतीय राजनीति में सुनने को मिल ही जाती है. इसलिए रक्षा के क्षेत्र में निश्ंिचत हो कर भ्रष्टाचार करें.

वैसे तो भ्रष्टाचार के मामलों में पूरे राष्ट्र में गजब की एकता है. पूर्वपश्चिम, उत्तरदक्षिण, मध्य सभी क्षेत्रों के लोग भ्रष्टाचार करने व करवाने में गजब का वैचारिक साम्य रखते हैं. भ्रष्टाचार करने तथा दूसरे को न करने देने पर सभी एकमत हैं. फिर भी भ्रष्टाचार के किसी भी मामले में फंसने पर आप अपने क्षेत्र को अपनी सुरक्षा के लिए प्रयुक्त कर सकते हैं. आप का क्षेत्रीयता का कार्ड आप की सुरक्षा करने तथा वास्तविक मुद्दों से ध्यान बंटाने में आप की भरपूर मदद करेगा.

यदि भ्रष्टाचार के लिए आप ने धर्म को माध्यम चुना है तो हम आप के चयन पर आप की तारीफ करते हैं. धर्म की आड़ में आप अपने खेल को बहुत अच्छी तरह खेल सकते हैं. हमारा धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र सभी धर्मों के धर्माचार्यों का भरपूर सम्मान करता है. धर्म के नाम पर आप के द्वारा किए गए गोलमाल पर कोई उंगली उठाने की जुर्रत तक नहीं करेगा.

‘स्वभाषा उन्नति है’ अपनी स्वयं की भाषा भूल गए क्या? अपनी भाषा पर गर्व करना सीखिए. देख नहीं रहे क्या, भाषा के नाम पर लोग कैसीकैसी राजनीति कर रहे हैं, लोगों को बरगला रहे हैं, बहका रहे हैं, आपस में लड़वा रहे हैं राज ठाकरे याद हैं न. ऐसे लोगों की तो सारी राजनीति ही इस बेचारी भाषा के खेल पर टिकी हुई है. भाषा के नाम पर जब वे अपनी राजनीति की रोटियां सेंक सकते हैं तो क्या आप जरा सी कमाई नहीं कर सकते? यदि कभी कुछ होता भी है तो भाषा है न आप का बचाव करने के लिए. वहीं, गवाहों का बदल जाना, सबूतों का नष्ट हो जाना, हमारी जांच एजेंसियों की दक्षता, हमारी न्यायिक प्रणाली की त्वरित चाल ये और इन जैसी ढेरों बातें तथा इन सब के ऊपर ‘रिश्वत लेते पकड़े जाओ तो रिश्वत दे कर छूट भी जाओ’ वगैरह भी ऐसे उपाय हैं जो आप को कभी भी निराश नहीं करेंगे, सदैव आप के काम आएंगे. आप के लिए सुरक्षा कवच का काम करेंगे. इसीलिए तो हम कहते हैं, ‘भ्रष्टाचार कीजिए, सुरक्षित रहिए.

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