कहानी - खेल

अनामिका कुरसी पर बैठी थी और अपने पैर सामने बैड पर रखे हुए थे. बैड पर विकास बेसुध, अर्द्धनग्न अवस्था में सोया था. उस के चेहरे पर सुकून दिखाई दे रहा था. अनामिका सोच के भंवर में डूबी थी. उस के चेहरे पर खामोशी थी मगर मन में विचारों का कोलाहल था. वह बारबार अपनेआप से सवाल करती, ‘रात को जो कुछ हुआ क्या वह सही था? क्या विकास अपने वादे पर कायम रह कर उस से शादी करेगा?’ अनामिका एक मध्यवर्गीय परिवार से थी. बचपन से ही वह एक टौप की मौडल बनने का सपना देखती थी, जिस के लिए घर वालों से विद्रोह कर के वह मुंबई चली आई थी. उस के अप्रतिम सौंदर्य की वजह से शीघ्र ही उसे काम भी मिलने लगा था. छात्र जीवन से ले कर मौडलिंग के सफर तक उस के सामने कई बार शारीरिक संबंध बनाने के प्रस्ताव आए थे मगर उस ने खुद को बचाए रखा था. लेकिन कल रात हालात ही कुछ ऐसे बन गए थे कि न वह विकास को रोक पाई न खुद को.

विकास एक जानामाना क्रिकेटर था. कुछ ही महीने पहले उस की अनामिका से मुलाकात हुई थी. कुछ ही मुलाकातों में वे एकदूसरे को चाहने लगे थे. विकास ने भी अन्य युवकों की तरह उस के सम्मुख यौन संबंध बनाने का प्रस्ताव रखा मगर अनामिका ने स्पष्ट रूप से मना कर दिया था. उस ने कहा था, ‘विकास, जब तुम मेरे पति बनोगे तभी तुम्हें यह अधिकार मिल पाएगा. मैं एक मध्यवर्गीय परिवार से हूं और मेरे संस्कार मुझे विवाहपूर्व ये सब करने से रोकते हैं.’

इस बात पर विकास हंस पड़ता था. कहता, ‘ओह अनु, कौन सी सदी की हो तुम? आजकल यह कौमन है, लाइफ ऐंजौय करो.’ दकियानूस विचारधारा से बाहर निकलो. ‘अगर मैं दकियानूस हूं तो वही सही, मगर तुम ऐसी बातें करोगे तो मुझे तुम्हारे बारे में फिर से सोचना पड़ेगा,’ वह कहती. ‘अच्छा बाबा, सौरी...’ विकास कान पकड़ कर कहता और बात वहीं खत्म हो जाती, लेकिन कल रात सारी सीमाएं टूट गईं. विकास की जिद के सामने वह हार गई थी.

दरअसल, कल दिन में विकास की टीम का विदेशी टीम से मैच हुआ था. जब विकास की टीम पिछड़ रही थी, तब विकास पिच पर आया. वह शतकों का बादशाह था. उस के चौकेछक्के देखने लायक होते थे. पहली ही बौल पर उस ने बल्ला घुमाया और गेंद बाउंड्री पार करती दिखी, मगर यह क्या? बाउंड्री पर तैनात विरोधी टीम के खिलाड़ी ने हवा में उछल कर कैच पकड़ लिया. पूरे मैदान में सन्नाटा छा गया. विकास को इस का गहरा आघात लगा और वह वहीं गिर पड़ा. अनामिका उसे अपने घर ले आई. विकास पूरे रास्ते बिलकुल खामोश रहा. उस के चेहरे पर गहरा तनाव था. घर आ कर अनामिका ने विकास को सोफे पर बैठाया और प्यार से अपने हाथों से पानी पिलाया.

अचानक विकास ने अनामिका की गोद में सिर रख दिया और फूटफूट कर रोने लगा. ‘यह क्या हो गया अनामिका... मेरा नाम... मेरा कैरियर सब बरबाद हो गया.’ वह रोते हुए बड़बड़ा रहा था.

‘हिम्मत रखो विकास, अभी जिंदगी खत्म नहीं हुई. तुम्हें अपने को साबित करने के बहुत से मौके मिलेंगे. यह तो खेल है, इस में कभीकभी ऐसा हो जाता है,’ वह विकास के सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए कह रही थी. ‘मुझे अपने आंचल में छिपा लो अनु, मुझे टूटने से बचा लो,’ कहते हुए वह बच्चों की तरह अनामिका से लिपट गया. ‘विकास, हिम्मत रखो और अपनेआप को संभालो.’ वह बोली.

‘आई नीड यू अनु, आई नीड यू. बस, एक बार मुझे अपना बना लो,’ वह रोते हुए कहता जा रहा था. अनामिका ने हलका सा प्रतिरोध भी किया. मगर विकास ने उस के समूचे शरीर पर चुंबनों की बौछार कर दी. अंतत: अनामिका के भीतर भी भावनाओं का तीव्र तूफान उठा जो सारी सीमाएं तोड़ कर सारे तटबंध पार कर गया. इस के बाद विकास गहरी नींद में सो गया.

‘‘गुड मौर्निंग...’’ विकास की आवाज से अनामिका की तंद्रा टूटी.

‘‘उठ गए तुम... चाय लोगे या कौफी?’’ वह बोली.

‘‘कौफी...’’

जब तक अनामिका कौफी बना कर लाई, तब तक विकास अनामिका के ब्रश से ही पेस्ट कर चुका था.

‘‘थैंक्यू अनु...’’ विकास ने कहा.

‘‘किस बात के लिए?’’ अनामिका ने पूछा.

‘‘मुझे डिप्रैशन से बाहर निकालने के लिए,’’ वह बोला.

‘‘लेकिन अब तुम मुझे डिप्रैशन में मत डाल देना. कहीं तुम यह कह दो कि तुम मुझ से शादी नहीं करोगे?’’

वह जोर से हंस पड़ा, ‘‘डोंट वरी अनु... शादी तो मैं तुम से ही करूंगा, मगर पहले थोड़ा कमा लूं, वैल सैटल्ड हो जाऊं. फिर हम शादी कर के दुनिया के किसी एक कोने में बस जाएंगे.’’अनामिका के चेहरे पर मुसकान आ गई. वह मन ही मन आश्वस्त भी हो गई. इस के बाद अगले मैचों में विकास का प्रदर्शन सुधरता चला गया. मैच के बाद अब विकास रोजाना सीधा अनामिका के पास आता और उस के शरीर से खेलता. अनामिका भी अब आपत्ति न करती, क्योंकि आखिर विकास की खुशी ही तो उस के लिए सबकुछ थी. इस के बाद अनामिका भी अपनी मौडलिंग में व्यस्त हो गई. एक दिन अनामिका को कुछ आशंका हुई और उस ने टैस्ट करवाया तो पाया कि वह गर्भवती है. विकास इन दिनों विदेश में था. अनामिका ने कई बार उस से संपर्क साधने का प्रयास किया मगर बात नहीं हो पाई. एक दिन जब वह स्वदेश आ कर अनामिका के पास आया तो अनामिका ने कौफी बनाई और उस के सामने आ कर बैठ गई, ‘‘बहुत व्यस्त हो आजकल?’’ वह बोली. ‘‘हां, हम लोगों को भी बड़ीबड़ी कंपनियां मौडल बनाने पर तुली हैं. क्रिकेट और मौडलिंग से फुरसत ही नहीं मिलती.’’

‘‘हां, मैं ने कई बार बात करने की कोशिश की थी मगर फोन मिला ही नहीं.’’ ‘‘क्यों? क्या कोई खास बात थी?’’

‘‘हम शादी कब करेंगे विकास?’’

‘‘मैं ने तुम्हें बताया न, थोड़ा और कमा लूं.’’

‘‘करोड़ों तो कमा चुके हो विकास, अब और कितना कमाओगे? और मैं कहां तुम्हारे कमाने में रोड़ा बनती हूं?’’

‘‘लेकिन मैं इतना कमाना चाहता हूं जितना इंडिया के किसी क्रिकेटर ने न कमाया हो.’’

‘‘आई एम प्रैग्नैंट विकास,’’ वह रोंआसी हो कर बोली.

‘‘तो दिक्कत क्या है ऐबौर्शन करा लो,’’ वह लापरवाही से बोला.

अनामिका स्तब्ध रह गई.

‘‘देखो अनामिका, 4-5 साल तक तो शादी के बारे में सोचना भी मत. अभी से मैं इस झंझट में नहीं फंसना चाहता.’’

‘‘और जिस झंझट में तुम मुझे फंसा कर जा रहे हो उस का क्या होगा?’’

‘‘उस का इलाज तो मैं ने तुम्हें बता ही दिया है.’’

अनामिका गहरी उलझन में फंस गई थी. इस के बाद एक महीने तक विकास नहीं आया. अनामिका ने उसे कई बार फोन भी किया मगर उस ने कोई जवाब नहीं दिया. एक दिन उसे समाचारपत्र से पता चला कि विकास इसी शहर में एक होटल में ठहरा है. वह सीधी होटल चली गई. इस बीच वह निर्णय ले चुकी थी कि बच्चे को गिराना ही पड़ेगा मगर वह एक बार विकास से मिल कर उसे बताना जरूरी समझती थी. रिसैप्शन पर विकास का रूम नंबर पूछ कर वह थर्ड फ्लोर पर चली आई. दरवाजा खुला ही था. अनामिका ने 2-3 बार दरवाजा खटखटाया मगर कोई आवाज नहीं आई तो उस ने दरवाजा धकेला, दरवाजा खुल गया. वह अंदर चली आई, लेकिन अंदर का दृश्य देख कर वह हक्कीबक्की रह गई. विकास एक विदेशी युवती के साथ हमबिस्तर हुआ पड़ा था. दोनों के शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था. उसे देख कर दोनों घबरा गए. युवती ने जल्दी से कपड़े पहने, विकास ने भी ऐसा ही किया. अनामिका वहां रुकी नहीं, वह तेजी से नीचे उतरी. अभी वह मेन गेट तक भी नहीं पहुंची थी कि विकास दौड़ता हुआ वहां पहुंच गया और बोला, ‘‘मेरी बात सुनो अनामिका, बहुत सी युवतियां मुझ पर जान छिड़कती हैं और मेरे एक इशारे पर बिस्तर तक आ जाती हैं. अच्छा हुआ जो तुम्हें खुद ही पता चल गया. अगर तुम मुझ से शादी के सपने देख रही हो तो भूल जाओ, मैं...’’

विकास की बात पूरी भी नहीं हुई थी कि अनामिका का हाथ उठा और जोरदार तमाचा विकास के गाल पर पड़ा. इस जबरदस्त तमाचे की आवाज पूरे हौल में गूंज उठी. अनामिका तेज कदमों से चली गई और विकास अपने हाथ से गाल सहलाता वहीं खड़ा रहा. टूट कर बिखर गई अनामिका. कितनी बड़ी बेवकूफ थी वह. विकास अधिकांश युवतियों को पैसे के बल पर हासिल करता था, कइयों को अपने स्टेटस और पहुंच के बल पर हासिल करता था, लेकिन अनामिका पर जब कोई दांव नहीं चला तो उस ने उसे भावनाओं के बल पर पा लिया था. अनामिका को अपना होश तक नहीं रहा था. वह कई दिन तक यों ही गुमसुम रही. अंतत: उस ने एक निर्णय लिया कि वह इस बच्चे को जन्म देगी ताकि अपनी भूल को याद रख सके. समय गुजरता रहा. अनामिका ने एक प्यारी सी बच्ची को जन्म दिया. अब वह बच्ची ही उस की दुनिया थी. उम्र के साथसाथ अनामिका के पास मौडलिंग के औफर कम आने लगे. ऐसे में जब पैसे की दिक्कत होने लगी तो बहुत पहले की हुई बीएड की डिग्री काम आई. उस ने एक अच्छे स्कूल में अध्यापिका की नौकरी कर ली.

एक दिन कौल बैल बजी. दरवाजा खोला तो सामने विकास खड़ा था. 8 वर्ष का लंबा समय बीत चुका था. वह सहसा उसे पहचान नहीं पाई. जब पहचाना तो बेरुखी से बोली, ‘‘कहिए...’’ ‘‘अंदर आने को नहीं कहोगी?’’ वह फीका सा मुसकराया. अनामिका ने एक क्षण सोचा फिर दरवाजा खोल दिया. वह भीतर आ कर सोफे पर बैठ गया, ‘‘मुझे माफ कर दो अनु...’’ वह गिड़गिड़ाया.‘‘आगे बोलो...’’ अनामिका के स्वर में अब भी बेरुखी थी.‘‘मैं बहुत डिप्रैशन में हूं अनु, मुझे इंडियन टीम से निकाल दिया गया है.’’

‘‘तो मैं क्या करूं?’’

‘‘मुझे एक बार अपने सीने से लगा लो अनु, मुझे एक सच्चे सहारे की जरूरत है.’’

‘‘तुम ने मुझे कमोड समझ रखा है क्या मिस्टर विकास, जब चाहो अपनी नाकामी की गंदगी मेरे भीतर छोड़ कर टैंशन फ्री हो जाओ. तुम होगे बहुत बड़े आदमी, लेकिन किसी औरत के आत्मसम्मान से बड़े नहीं हो सकते,’’ वह क्रोध से चिल्लाई.

तभी उस की बेटी तन्वी ने भीतर प्रवेश किया. उस के हाथ में स्कूल बैग था. वह आते ही बोली, ‘‘मम्मी...’’ और अनामिका से लिपट गई.

‘‘यह बच्ची कौन है...’’ विकास चौंक कर बोला.

‘‘यह मेरी बेटी है...’’ अनामिका का सिर गर्व से तना था.

‘‘मतलब इस का पिता...?’’

‘‘इस का बाप मर चुका है.’’

‘‘तुम झूठ बोल रही हो. 7-8 साल पहले तक तुम्हारी जिंदगी में मेरे सिवा कोई मर्द नहीं था. यह मेरी बेटी है.’’

‘‘गैटआउट...’’ अनामिका के स्वर में जैसे जहर भरा था.

‘‘एक बार मेरी बच्ची को मुझे अपने सीने से लगाने दो. यकीन मानो हम शादी कर लेंगे,’’ वह बच्ची को छूने का प्रयास करते हुए बोला.

‘‘डोंट टच, ऐंड गैटआउट औफ माई हाउस,’’ वह चिंघाड़ी. विकास कुछ क्षण वहीं बैठा रहा, फिर भरे हुए कदमों से उठ कर बाहर चला गया. अनामिका ने पीछे से धड़ाम से दरवाजा बंद कर लिया. फिर वह दरवाजे से टेक लगा कर रो पड़ी. तभी तन्वी आ कर उस से लिपट गई. अनामिका ने तन्वी को कस कर सीने से लगाया और उस के चेहरे पर चुंबनों की झड़ी लगा दी.

कोई टिप्पणी नहीं:

'; (function() { var dsq = document.createElement('script'); dsq.type = 'text/javascript'; dsq.async = true; dsq.src = '//' + disqus_shortname + '.disqus.com/embed.js'; (document.getElementsByTagName('head')[0] || document.getElementsByTagName('body')[0]).appendChild(dsq); })();
Blogger द्वारा संचालित.