कहानी - हिम्मत
अंधेरा होते ही बबली का पति काम कर के अपने घर आ गया था. बबली भी एक कबाड़ी के गोदाम पर गंदगी के ढेर से बेकार चीजों की छंटाई का काम करती थी. उसे 2 सौ रुपए रोजाना मिलते थे. पति पत्नी दोनों बड़ी लगन से मेहनतमजदूरी करते थे, तभी घर का खर्च चल पाता था. कबाड़ी के गोदाम पर बबली जैसी 4-5 औरतें काम करती थीं. सभी औरतें झोंपड़पट्टी इलाके की थीं. उन के पति भी किसी चौधरी के खेतों में काम करते थे. सुबह 6 बजे जाते थे और शाम को 6 बजे थकेहारे लौटते थे. घर आते ही उन में इतनी ताकत नहीं होती थी कि अपनी झोंपड़ी से थोड़ी दूर पैदल जा कर नहर में नहा आएं.
बबली का पति मेवालाल तो रोजाना की इस कड़ी मेहनत से सूख कर कांटा हो गया था. उस के बदन का रंग काला पड़ गया था. गरमी के चलते कई दिनों से नल में पानी नहीं आ रहा था. अगर पानी आ भी जाता था, तो गरीब बस्ती से पहले दबंग लोगों की कालोनी थी, जहां हर घर में बिजली की मोटर लगी थी. जब बड़े घरों में बिजली की मोटरें चलेंगी, तो गरीबों के नल में पानी आना कतई मुमकिन नहीं. ऐसे हालात में गरीब बस्ती वालों का एकमात्र सहारा बस्ती से थोड़ी दूर बहती गंदे पानी की नहर थी. अंधेरा होने पर बस्ती की जवान बहू बेटियों की इज्जत पर कितनी बार हमले हो चुके थे. गरीब लोग दबंगों के ऐसे हमले सहने को मजबूर थे.
मेवालाल सारा दिन मेहनत मजदूरी करने की वजह से प्यास से मरा जा रहा था. उसे नहाना भी था. घर में पानी की एक बूंद नहीं थी. उस ने बबली को नहर से पानी लाने को कहा. बबली भी थकी हुई थी. उस ने तुनक कर जवाब दिया, ‘‘इतनी दूर से पानी कैसे लाऊंगी? मैं भी थकी हुई हूं. तुम नहर पर जा कर नहा आओ. देर भी हो गई है. अंधेरा फैला हुआ है.’’
‘‘सारा दिन काम करतेकरते पूरे जिस्म से जान निकली जा रही है. अगर मैं मर गया, तो तुम विधवा हो जाओगी. चलता हूं तो चक्कर आते हैं. कहीं नहर में गिर गया तो...
‘‘मेरी नखरे वाली बिल्लो, जा पानी ले आ. अभी तो 3 बेटियां ब्याहनी हैं. अकेले ही तीनों को कैसे ठिकाने लगाओगी?’’ मेवालाल ने बबली की चिरौरी की, तो वह मान गई.
‘‘हां हां, मैं ही मिट्टी की बनी हूं. मुझ पर ही जवानी चढ़ी जा रही है. सारा दिन मैं भी तो मेहनत करती हूं,’’ बबली ने भी अपनी हालत बयान करते हुए थकेहारे लहजे में कहा, तो मेवालाल खामोश रहा. भारी थकावट के चलते उस का बदन दर्द के मारे दुखा जा रहा था. उस की उम्र अभी 35 साल से ज्यादा नहीं थी, मगर कमजोरी के चलते कितनी बीमारियों ने उस के बदन में घर बना लिया था. थकीहारी बबली ने दुखी मन से बड़ा बरतन उठाया और पानी लेने चली गई. रास्ता कच्चा और ऊबड़खाबड़ था. अंधेरे के चलते बबली ठोकर खाती नहर की तरफ बढ़ रही थी, तभी उस के कानों में एक मर्दाना आवाज आई. उस के सामने इलाके का दबंग आदमी रास्ता रोक कर खड़ा हो गया था. वह शायद शराब के नशे में चूर था. वह पहले भी इसी रास्ते पर बबली से जोरजबरदस्ती कर चुका था. बसअड्डे पर उस की मोटर मेकैनिक की दुकान थी.
उस दबंग की 2 बार शादी हुई थी. दोनों ही बार उस की शराब पीने की आदत के चलते घरवालियां भाग चुकी थीं. अब वह दूसरों की घरवालियों पर तिरछी नजर रखता था. बबली कबाड़ के गोदाम पर काम करती थी. गोदाम का मालिक पाला राम उस का दोस्त था. इसी दोस्ती के चलते वह दबंग बबली पर अपना हक समझने लगा था. ‘‘अरे, इस अंधेरी रात में इतनी दूर से पानी ले कर आओगी. इस तरह तो तेरी जवानी का कचरा हो जाएगा. मेरी रानी, तू अगर रात को मेरे पास आ जाया करे, तो मैं तेरी झोंपड़ी के सामने ही पानी का ट्यूबवैल लगवा दूंगा. बोल, रोज रात को मेरे कमरे पर आया करेगी?’’ सामने रास्ता रोक कर उस मोटर मेकैनिक ने रोमांटिक होते हुए पूछा.
‘‘मुझे अपने घरवाले के लिए नहाने का पानी ले जाना है. मैं सारा दिन काम कर के थकीहारी लौटी हूं. कहीं दूसरी गंदी नाली में मुंह मार,’’ दहाड़ते हुए बबली ने कहा.
‘‘अरे, क्यों उस मरे हुए आदमी के लिए अपनी मस्त जवानी बरबाद कर रही है? उसे छोड़ कर मेरे साथ आ जा. मैं तुझे रानी बना कर रखूंगा,’’ कहते हुए हवस से भरे उस मोटर मेकैनिक ने थकीहारी बबली को गोद में उठा कर साथ ही के खाली प्लाट में जमीन पर गिरा दिया और उस की साड़ी उतारने पर आमादा हो गया. सारे दिन की थकीहारी बबली अपनेआप को बचा नहीं पा रही थी. मोटर मेकैनिक अपनी मनमानी कर के माना. बबली अपनी आबरू गंवा बैठी. जातेजाते वह दबंग 5 सौ रुपए का नोट देते हुए बोला, ‘‘ऐसे ही मजे देती रहेगी, तो तुझे मालामाल कर दूंगा.’’
‘‘मैं थूकती हूं तेरे रुपयों पर. आज तो तू ने अपनी मनमरजी कर ली, दोबारा ऐसी कोशिश मत करना. अगर कोशिश की, तो बहुत बुरा अंजाम होगा,’’ बबली ने उसे चेतावनी दी. उस ने अपने कपड़े पहने और रोतीसिसकती पानी लाने नहर पर चली गई. घर जा कर बबली ने पति को सारी बात बताई और यह भी कहा कि मोटर मेकैनिक की बेहूदा हरकत पर उसे सबक सिखाना बहुत जरूरी हो गया है. अगली सुबह मेवालाल बबली के साथ बस्ती के नजदीक पुलिस थाने पहुंचा. पहले पहल तो थानेदार ने उन की शिकायत सुनी ही नहीं, उलटे बबली पर ही देह धंधा करने का आरोप लगा दिया. जब बबली ने बड़े साहब के पास जाने की धमकी दी, तब थानेदार ने एक पुलिस वाला भेज कर मोटर मेकैनिक को थाने बुला लिया. थानेदार ने जब मोटर मेकैनिक को बबली के साथ बलात्कार का मुकदमा दर्ज करने की धमकी दी, तो वह थानेदार के साथ मुंशी के केबिन में घुस गया.
पता नहीं, मुंशी के केबिन में उन के बीच क्या कानाफूसी हुई. थोड़ी देर में थानेदार केबिन से मोटर मेकैनिक के साथ बाहर निकला और उस के साथ बबली को धमकाते हुए फिर कभी ऐसी गलती न करने की चेतावनी देते हुए थाने से निकाल दिया. बबली ज्वालामुखी की तरह दहक उठी थी. वह तो मोटर मेकैनिक से बदला लेना चाहती थी. तब उस ने अपनी बस्ती की तमाम सयानी औरतों के सामने अपना दर्द रखा. साथ ही, यह गुहार भी लगाई कि अगर ऐसे दबंगों पर शिकंजा न कसा गया, तो ये किसी की भी बहनबेटी पर जबरन हाथ डाल सकते हैं. सब औरतों ने बबली को भरोसा दिलाया कि अगर अब फिर कभी मोटर मेकैनिक ऐसी हरकत करेगा, तो वह बस्ती की दबंग औरत फुलवा को फोन कर के जगह बता दे.
बबली ने एक पुराना मोबाइल फोन खरीदा. उस ने सोच लिया था कि अगर मोटर मेकैनिक दोबारा ऐसा करता है, तो उस का अंजाम बहुत बुरा होगा. अब वह रोजाना नहर पर रात के अंधेरे में पानी लेने जाती थी. एक दिन शाम ढलने के बाद वह पानी लेने गई, तभी मोटर मेकैनिक फिर मिल गया.
‘‘क्यों रानी, मेरी शिकायत पुलिस में कर के देख ली? क्या हुआ... कुछ भी नहीं. थानेदार भी मेरा चेला है. मेरे दबदबे से तो उस की हवा निकलती है. मेरी रातें रंगीन कर दे मेरी रानी. मैं तुझे महारानी बना दूंगा,’’ शराब के नशे में झूमते हुए मोटर मेकैनिक ने बबली के उभारों पर हाथ रखा.
‘‘यहां रास्ते में कोई आ जाएगा. मैं नदी पर जा रही हूं. तुम आगेआगे वहीं पहुंचो. नहाधो कर वहीं पर मजे लूटेंगे,’’ मन ही मन सुलगते हुए बबली शहद घुली आवाज में बोली. बबली की यह बात सुन कर मोटर मेकैनिक खुशी के मारे झूम उठा. वह तेजतेज चलते हुए आगे बढ़ने लगा. बबली ने अपनी बस्ती की फुलवा को फोन कर दिया. वह धीरेधीरे चलते हुए नहर के किनारे पहुंची. मोटर मेकैनिक बेसब्री के आलम में जल्दीजल्दी बबली की साड़ी खोलने लगा.
बबली ने झिड़क कर उसे रोक दिया, ‘‘रुको... मैं नहा तो लूं. बदन की थकावट उतर जाएगी, तो मस्ती मारने का मजा भी खूब आएगा,’’ बबली ने रोकना चाहा, तो मोटर मेकैनिक रुका नहीं. उस ने बबली को अपनी बांहों में कस कर जमीन पर गिरा दिया. मोटर मेकैनिक उस पर झपटने ही वाला था कि तभी एकसाथ कई आवाजें सुन कर वह चौंक उठा. बस्ती की कितनी औरतें हाथों में जूतेचप्पलें ले कर आई थीं. जवान लड़के भी पूरी तैयारी के साथ वहां पहुंच गए थे. सब के हाथों में टौर्च भी थी.
‘‘बदमाश, तू दूसरों की बहन बेटियों को अपनी जागीर समझता है. बहुत जोश भरा है तेरे अंदर? अभी तेरा इलाज करते हैं,’’ बस्ती की फुलवा गुस्से के मारे दहाड़ उठी थी. इस के बाद तो रात के अंधेरे में सब उस मोटर मेकैनिक पर बरस पड़े.
मोटर मेकैनिक की हालत खराब हो गई थी. उसे कोई बचाने वाला नहीं था. सब उसे पकड़ कर घसीटते हुए बस्ती में ले आए.
‘‘यह ले, इस कागज पर दस्तखत कर दे, वरना तेरी हालत और भी बुरी हो जाएगी,’’ फुलवा ने एक सादा कागज उस के सामने रखते हुए कहा.
‘‘यह क्या है?’’ बुरी तरह घायल मोटर मेकैनिक ने बड़ी मुश्किल से पूछा. उस की आंखों के आगे अंधेरा छा रहा था. अपने पैरों पर खड़ा होने की कोशिश करते ही वह जमीन पर चीखते हुए गिर पड़ा था. ‘‘अगर फिर कभी दोबारा तुम ने किसी भी बहनबेटी की तरफ बुरी नजर से देखा, तो तेरा अंगअंग काट दिया जाएगा. इस सजा की जिम्मेदारी सिर्फ तेरी होगी. किसी दूसरे को आरोपी नहीं माना जाएगा, इसलिए तेरे दस्तखत कराना जरूरी है.
‘‘हम इस कागज की एक कौपी थाने में और एक कौपी कचहरी में जमा कराएंगे,’’ फुलवा ने सारी बात समझाई, तो उस की आंखों के सामने अंधेरा छा गया. उस की समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था. जबान मानो तालू से चिपक गई थी.
‘‘अरे, मोटर मेकैनिक बाबा, अभी दस्तखत कर दो, वरना गुस्से में आई ये औरतें तेरा आज ही अंग भंग कर देंगी. अगर तुम इन औरतों से बच गए, तो हम तुझे अभी नहर में फेंक देंगे. बस्ती में हमारी मांबहनें रहती हैं. जल्दी दस्तखत कर,’’ वहां जमा हुए लड़कों में से एक ने कहा. मोटर मेकैनिक ने कांपते हाथों से कागज पर अपने दस्तखत करने में ही भलाई समझी. दस्तखत करते ही वह बेहोश हो गया. बबली ने साथ आई औरतों का शुक्रिया अदा किया. उस ने महसूस किया कि हिम्मत और सूझबूझ से बड़ी से बड़ी मुसीबत से पार पाई जा सकती है.
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