हास्य - चांद निकल आया

रेशमी जुल्फों पर कभी गुमान करते नहीं थकता था. मगर अब बादलों के बीच चांद ने कुछ यों दस्तक दी कि बाल कम होते जा रहे है और चांद पूरनमासी की तरह बढ़ता जा रहा है. भले ही तेल, आसन से ले कर दवादारू के सारे नुसखे फेल हो गए हों पर कमबख्त मजाल है कि हम हार मान जाएं. कुछ साल पहले की बात है, ज्यादा नहीं तो 5 साल जरूर हुए होंगे, उस समय मेरे सिर पर बहुत ही खूबसूरत बाल हुआ करते थे. एकदम कालेकाले, घने, मजबूत, रेशम जैसे मुलायम, चमकीले, झबरीले, बहुत ही शानदार. मैं अपने बालों में गजमोती पिरोया करता था. लोग कहते, ‘अरे, इस के बाल तो एकदम शाहरुख खान जैसे हैं.’

लोगों के कहतेकहते मैं सचमुच अपनेआप को शाहरुख खान समझने लगा और मेरे आदर्श शाहरुख खान हो गए. उस समय की फोटो जब भी मैं देखता हूं तो मेरा दिल बागबाग हो जाता है. मैं इतराने लगता हूं. अपने दोस्तों को बता कर अपने मुंह मियां मिट्ठू बनता हूं यानी अपनी बालों की तारीफ खुद करता हूं. लेकिन वह जमाना कुछ और था, घर में खानेपीने की कुछ कमी न थी. दूधदही तो हम लोग खाते नहीं, नहाते थे. लेकिन आजकल तो सबकुछ नकली मिलता है. खानेपीने की चीजों में मिलावट, दूध के नाम पर यूरिया वाला दूध, जैसे कुछ भी इन दिनों असली नहीं है. इसलिए इस समय अच्छे शरीर तथा अच्छे शरीर में अच्छे बालों की कल्पना भी नहीं कर सकते.

एक दिन की बात है, मैं बाथरूम में नहा रहा था. बालों में शैंपू किया तथा शरीर में साबुन लगाया. जब अच्छी तरह नहा कर तौलिये से अपने बालों को सुखाने लगा, उसी दौरान मेरी नजर तौलिये पर गई. मैं तौलिये को देख कर दंग रह गया. मेरे तौलिये में असंख्य टूटे हुए बाल थे. मैं उसी दिन समझ गया कि मेरा आने वाला भविष्य अंधकारमय है. मैं ने तुरंत आईने में देखा, मेरे सिर पर ‘दूज का चांद काले बादलों के बीच’ झांक रहा था. उसी दिन मैं ने अपने खास मित्र की सलाह ली. वे बोले, ‘‘अपने बालों में तेल क्यों नहीं लगाते? जैसे शरीर के लिए विभिन्न तरह के भोजन की जरूरत होती है उसी तरह बालों के लिए तेल भी आवश्यक है.’’ मैं बाजार से बहुत सारे तेल ले कर आया, जैसे शुद्ध सरसों का तेल, बादाम तेल, नारियल तेल, आंवला तेल, औलिव औयल और अरंडी तेल. मित्र के निर्देशानुसार तेल लगाना शुरू किया. यह बात भूल कर कि लोग मुझे चिपकू कहेंगे.

दरअसल, मेरे अपने स्कूल में जो भी बच्चे तेल लगा कर आते थे, हम सभी साथी उन्हें चिढ़ाने के लिए चिपकू कहा करते थे. पहले मेरी जुल्फें उड़ा करतीं, लहराया करतीं पर अब हमेशा चिपकी रहती हैं. कुछ दिनों तक उपचार चला पर बालों का झड़ना फिर भी न रुका. सारे तेल व्यर्थ गए, कुछ फायदा न हुआ और न ही सिर में मसाज ही काम आया. मेरे दिल के जितने अरमान थे उन का तेल जरूर निकल गया. एक दिन मैं टैलीविजन में समाचार देख रहा था. कुछ देर बाद उस में विज्ञापन आने शुरू हो गए. विज्ञापन में चैनल दिखा रहा था कि एक गंजे व्यक्ति के भी सिर में बाल आ जाते हैं. कुछ महीने का एक कोर्स करना होता है जिस में कैप्सूल खाना तथा कुछ तेल लगाने होते हैं. कुछ दिन कोर्स करने के उपरांत उस व्यक्ति के सिर में पहले जैसे बाल वापस आ जाते हैं.

प्रचार वाला बोल रहा था, ‘‘अभी और्डर करें. नीचे दिए फोन नंबर पर. पूरे कोर्स के लिए 5 हजार रुपए लगेंगे. नहीं ठीक होने पर पूरे पैसे वापस किए जाएंगे. अभी और्डर करने पर आप को मात्र 3 हजार रुपए लगेंगे यानी पूरे 40 प्रतिशत की छूट. आप सभी और्डर करें और पाएं 2 हजार रुपए की छूट.’’

टैलीविजन में दिखाया जा रहा था कि उपचार शुरू होते ही एक बाल की जड़ में 3-4 बाल उग आए हैं और 2-3 महीने में गंजापन पूरी तरह से गायब हो जाता है. मैं ने टैलीविजन में नंबर देख कर तुरंत और्डर कर दिया. दवा का पैकेट आने पर उपचार प्रारंभ किया. 2-3 महीने उपचार के उपरांत बालों में बाल बराबर भी फायदा न हुआ.  धीरेधीरे मेरे सिर के बाल और कम हो गए. स्किन के डाक्टर को भी दिखाया पर समस्या थोड़ी भी कम न हुई, बल्कि गहरी होती जा रही थी. न दिन को चैन न रातों को आराम, बस एक ही चिंता, केवल बाल ही बाल. सपने में भी बालबाल नजर आते. मैं हमेशा सोचता था कि मेरा बदन जब अच्छा है तो मेरे बाल भी अच्छे ही रहेंगे, मेरे बालों का कोई बाल भी बांका न कर सकेगा. पर ऐसा हो न सका.

मेरे एक और करीबी मित्र ने एक सलाह दी जो पहले वे अपने पर आजमा चुके थे. वे बोले, ‘‘ये बाल मैं ने धूप में नहीं पकाए हैं. मेरा अनुभव है, तभी मैं बोल रहा हूं. आप अपने बालों को ट्रिमिंग (बाल मशीन से एकदम छोटा करना) करा लीजिए, इस से जड़ भी मजबूत होंगी और बाल टूटेंगे भी नहीं.’’ एक दूसरे मित्र बोले, ‘‘आप सिर सफा (मुंडन) करा लीजिए. सिर की रूसी खत्म हो जाएगी और बाल मजबूत हो जाएंगे.’’ मुझे इन दोनों का वैज्ञानिक कारण समझ के परे था, पर मरता क्या न करता वाली बात चरितार्थ हो रही थी. मैं ने अपने बालों की ट्रिमिंग तथा सफा एक बार नहीं कईकई बार कराया. बस, इसी उम्मीद में कि मेरे बालों की बगिया में शायद फिर से बहार आ जाए. लेकिन ट्रिमिंग तथा सफा से बस एक बात का दुख होता, जब भी घर से बाहर निकलता तो लोग पूछते, कोई दुखांत घटना हो गई है क्या? कोई मर गया है क्या? मैं व्याख्या देतेदेते परेशान हो जाता.

आखिर मैं ने निर्णय लिया कि मैं टोपी लगा लूंगा जिस से सिर पूरी तरह ढक जाएगा और लोग परेशान भी नहीं करेंगे. टोपी लगाने पर भी लोग टोपी के अंदर झांकते और पूछते, ‘कोई मर गया है क्या?’ मतलब कि लोगों को किसी भी तरह चैन नहीं है.

कुछ दिनों तक नहाने के बाद तौलिए में बाल ढूंढ़ा करता, पर एक न मिलता. मेरा दिल कहता, मैं तो बालबाल बचा. बाल आता कहां से, सिर में बाल रहे तब न बाल आएंगे. कुछ दिनों बाद जब बाल लंबे हुए, फिर भी समस्या कम न हुई. मेरे सिर पर अब दूज का चांद नहीं, अब तो अष्टमी का चांद निकल आया था.

एक बहुत ही करीबी मित्र ने सलाह दी कि आप बालों की रोपाई क्यों नहीं करा लेते हैं. सिर के पीछे के बाल आगे की ओर रोप देते हैं और खर्च भी ज्यादा नहीं, मात्र 60 हजार रुपए से ले कर 1 लाख रुपए के बीच ही आएगा अथवा आप विग (नकली बालों की टोपी) लगा लीजिए, जैसे कि बहुत सारे फिल्मी हीरोहीरोईन या रईस लोग बालों की रोपाई करा लेते हैं या विग लगा लेते हैं. मैं ठहरा आदर्शवादी विचारधारा वाला, मेरा दिल इस बात को मानने को तैयार न हुआ. मैं सोचता कि रोपाई किए हुए बाल या बालों की विग तो नकली हुई न, मुझे तो असली चाहिए, पर मैं वह कर न सका.

मेरे एक और मित्र ने सलाह दी. वे बोले, ‘‘देखिए, मेरे खिचड़ी बाल भले हो गए हैं पर एक भी नहीं गिरे. मेरी बात मानिए, आप आसन करिए, जैसे शीर्षासन. इस से सिर में खून का दौरा बढ़ जाता है और सिर के बालों को काफी फायदा होता है.’’

मैं तो शुरूशुरू में कर नहीं पाता था लेकिन धीरेधीरे अभ्यास करतेकरते करना सीख गया. कुछ दिन करने के उपरांत कुछ भी लाभ न दिखाई दिया, उलटे सिर में जो भी कुछ बचे हुए बाल थे वे भी धीरेधीरे चले गए. और मेरे सिर पर अब चौदहवीं का चांद निकल आया था. यानी मैं एकदम से परमानैंट गंजा हो गया था. पहले मेरे आदर्श हुआ करते थे शाहरुख खान पर आज मेरे आदर्श हैं अनुपम खेर एक जन बोले, ‘‘अरे भाई, यह तो वंशागत है. यह कभी भी ठीक न होगा.’’ पर मैं ने आज भी उम्मीद नहीं छोड़ी है क्योंकि उम्मीद पर तो दुनिया कायम है, दोस्तों. बरसों का प्रयास व्यर्थ रहा और यह आज तक संभव न हो सका. अब तो मेरे खास मित्र, मुझे ‘उजड़ा चमन’ कह कर बुलाते हैं. मैं बिलकुल बुरा नहीं मानता. आज भी मैं मित्रों, दोस्तों, संबंधियों, रिश्तेदारों, जो बालों के बारे में सलाह देते हैं, की बातों का पालन करता हूं, वह भी बिना बाल की खाल निकाले.

मैं आज भी सकारात्मक उम्मीद लिए जेब में कंघी ले कर घूमता हूं. इस वैज्ञानिक युग में शायद कभी खोए हुए मेरे बाल वापस आ जाएं. फिलहाल, गंजे सिर पर हाथ फेर कर अपने दिल को सुकून देने की कोशिश करता रहता हूं.

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