कहानी - राशिफल का चक्कर
आशु तोषी और सुधीर से कह रही थी, ‘‘मैं ने पिछले सप्ताह अपने राशिफल में पढ़ा था कि किसी नजदीकी रिश्तेदार से अचानक भेंट होगी और उसी शाम को मामाजी आ गए.’’ तभी रोमा और अलका ने प्रवेश किया और वे भी उन की बातचीत में शामिल हो गईं. सुधीर बोला, ‘‘ऐसा एक बार मेरे साथ भी हुआ था. मेरे राशिफल में लिखा था कि कोई अच्छा समाचार मिलने की संभावना है और उसी दिन मेरे बड़े भैया की नौकरी का बुलावा आ गया. मुझे लगता है कि राशिफल में कुछ तो सचाई होती ही है.’’
अलका ने कहा, ‘‘आशु भैया, मामाजी को तो आना ही था. उन्होंने अपने पत्र में लिखा था कि वे अगले महीने आ रहे हैं. सुधीर, तुम्हारी बात भी तर्कयुक्त नहीं है. राशिफल तुम ने अपना देखा और नियुक्तिपत्र तुम्हारे बड़े भाई का आया.’’
रोमा, जो अभी तक सिर्फ सुन रही थी. बोली, ‘‘यह तो संयोगवश भी हो सकता है कि किसी दिन का राशिफल उस दिन की घटना से मेल खा जाए, तब हम उसे याद रख लेते हैं, लेकिन 10 में से 8 दिन की जो बातें गलत निकलती हैं, उन्हें हम भुला देते हैं.’’ तोषी ने आशु का पक्ष लेते हुए कहा, ‘‘मेरा तो राशिफल में बहुत विश्वास है. मैं तो हर दिन राशिफल अवश्य देखता हूं. यह कई बार सही भी निकलता है.’’
अभी उन की बातें चल ही रही थीं कि निर्मला चाची आ गईं. अलका ने उन से पूछा, ‘‘चाचीजी, राशिफल के बारे में आप की क्या राय है?’’ ‘‘मैं राशिफल नहीं देखती. एक दिन सभी अपनाअपना राशिफल देख रहे थे. मुझ से भी रमा ने मेरी राशि पूछी और मेरा राशिफल सुनाया कि आप को आज अचानक धन लाभ होने की संभावना है. कहीं से अच्छे समाचार भी मिल सकते हैं. स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा,’’ निर्मला चाची ने कहा.
‘‘चाची, फिर क्या सभी बातें सही निकलीं?’’ रोमा ने पूछा.
निर्मला चाची हंसते हुए बोलीं, ‘‘मैं वही तो बता रही हूं. पूरी बात सुनने के बाद राशिफल का चक्कर समझ में आ जाएगा. तुम तो जानती ही हो कि तुम्हारे चाचाजी 10 बजे दफ्तर जाते हैं और 4 बजे लौटते हैं. मैं दोपहर 12 बजे स्कूल जाती हूं और 5 बजे तक लौटती हूं. उस दिन काम की अधिकता के कारण मैं बहुत व्यस्त रही और जल्दीजल्दी काम निबटा कर स्कूल चली गई.
‘‘स्कूल में भी राशिफल की बातें याद आईं तो मैं सोचने लगी कि धनलाभ कहां से हो सकता है? इस की तो कोई संभावना दिखाई नहीं दे रही थी. सोचा, हो सकता है कहीं से कोई अच्छा समाचार मिल जाए. हलकी सी ठंड थी. मैं जल्दी में शौल लाना भूल गई थी. करीब साढ़े 3 बजे बारिश होने लगी जो शाम साढ़े 5 बजे तक नहीं रुकी. ‘‘मैं हलकी बारिश में ही घर पहुंची. तुम्हारे चाचाजी के लौटने में भी किसी मीटिंग के कारण विलंब हो गया था. वह भी मेरे साथ ही ऊपर आए. मैं ने कमरा खोला. वहां बड़ा अजीब दृश्य था. मेरा माथा ठनका. कमरे में कई जगह गंदगी पड़ी थी और 1-2 जगह उलटी भी थी. अंदर वाले कमरे में दूध, दही और घी फैला हुआ था. कुछ फल और बिस्कुट भी बिखरे पड़े थे. फ्रिज का दरवाजा खुला पड़ा था.
‘‘चाचाजी कहने लगे कि मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि यह सब कैसे हुआ. कमरे का ताला तो बंद था.
‘‘मैं जल्दीजल्दी बालटी में पानी भरने लगी. इतने में एक बिल्ली अलमारी के नीचे से निकल कर भागी. अब हम दोनों पूरी बात समझ गए. मैं दोपहर में फ्रिज का दरवाजा ठीक से बंद करना भूल गई थी. बाहर ताला लगाते समय मुझे यह ध्यान ही नहीं रहा कि अंदर बिल्ली बंद हो गई है. नतीजा सामने था. उस ने जो कुछ भी खाया था, सब बाहर निकाल दिया. दूध, दही, घी आदि का जो नुकसान हुआ, उस की कीमत लगभग 200 रुपए थी. गंदगी साफ करने में मुझे काफी परेशानी हुई. ‘‘तभी मेरे मोबाइल की घंटी बजी मेरे देवर का फोन था वह बोला कि मंजू की तबीयत बहुत खराब हो गई है. आप शीघ्र जयपुर आ जाएं. मैं अकेला उसे संभालूं या बच्चों को? ‘‘यह खबर सुनते ही हम चिंतित हो गए. स्कूल से आते समय मैं कुछ भीग गई थी और ठंड के कारण मुझे बुखार भी हो गया था. अगले दिन तबीयत ठीक न होते हुए भी मुझे जयपुर जाना पड़ा. अब तुम्हीं फैसला कर लो कि राशिफल कैसा रहा? अचानक धन प्राप्ति के स्थान पर मुझे लगभग 200 रुपए का नुकसान हुआ. अच्छा समाचार मिलने के बदले देवरानी की तबीयत खराब होने की खबर आई और स्वास्थ्य ठीक होने की जगह मुझे बुखार हो गया.’’
सभी लड़केलड़कियां समझ गए थे कि राशिफल का चक्कर बेकार होता है. इस के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए.
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