स्वास्थ्य - क्या है पैल्विक इनफ्लैमेटरी डिजीज
पैल्विक इनफ्लैमेटरी डिजीज यानी पीआईडी गर्भाशय, फैलोपियन ट्यूब्स और अंडाशय में होने वाला इन्फैक्शन होता है. कई बार यह इन्फैक्शन पैल्विक पेरिटोनियम तक पहुंच जाता है. पीआईडी का उचित इलाज कराना जरूरी है, क्योंकि इस के कारण महिलाओं में ऐक्टोपिक प्रैगनैंसी या गर्भाशय के बाहर प्रैगनैंसी अथवा पैल्विक में लगातार दर्द की शिकायत हो सकती है. आमतौर पर यह बैक्टीरियल इन्फैक्शन होता है, जिस के लक्षणों में पेट के निचले हिस्से में दर्द, बुखार, वैजाइनल डिसचार्ज, असामान्य ब्लीडिंग, यौन संबंधों या यूरिनेशन के दौरान तेज दर्द महसूस होना शामिल है.
क्या हैं पीआईडी के प्रारंभिक कारण
जब बैक्टीरिया योनि या गर्भाशय ग्रीवा द्वारा महिलाओं के प्रजनन अंगों तक पहुंचते हैं, तो पैल्विक इनफ्लैमेटरी डिजीज का कारण बनते हैं. पीआईडी इन्फैक्शन के लिए कई प्रकार के बैक्टीरिया जिम्मेदार होते हैं. अधिकांशतया यह इन्फैक्शन यौन संबंधों के दौरान होने वाले बैक्टीरियल इन्फैक्शन के कारण होता है. इस की शुरुआत क्लैमाइडिया और प्रमेह के रूप में होती है. एक से अधिक सैक्सुअल पार्टनर होने की स्थिति में भी पीआईडी होने का खतरा बढ़ जाता है. कई मामलों में क्षयरोग भी इस के होने का कारण बनता है. 20 से 40 वर्ष की महिलाओं में इस के होने की आशंका अधिक रहती है, लेकिन कई बार मेनोपौज की अवस्था पार कर चुकी वृद्ध महिलाओं में भी यह समस्या देखी जाती है.
यह होती है परेशानी
पीआईडी के कारण कई बार प्रजनन अंग स्थाई रूप से क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और फैलोपियन ट्यूब्स में भी जख्म हो सकता है. इस के कारण गर्भाशय तक अंडे पहुंचने में बाधा आती है. ऐसी स्थिति में स्पर्म अंडों तक नहीं पहुंच पाता या एग फर्टिलाइज नहीं हो पाते हैं, जिस की वजह से भू्रण का विकास गर्भाशय के बाहर ही होने लगता है. क्षतिग्रस्त होने और बारबार समस्या होने पर इन्फर्टिलिटी का खतरा बढ़ जाता है. वहीं जब पीआईडी की समस्या टीबी के कारण होती है तो मरीज को ऐंडोमैट्रियल ट्यूबरक्लोसिस होने की आशंका रहती है और यह भी इन्फर्टिलिटी का कारण बनती है. यहां तक कि कई बार महिलाओं में पीआईडी के कारण मासिकस्राव के बंद होने की भी शिकायत हो जाती है.
पहचान और उपचार
पीआईडी को रोकना संभव है. भले ही पीआईडी की समस्या के कुछ लक्षण नजर आते हों, बावजूद इस के इस का पता लगाने के लिए किसी प्रकार की जांच प्रक्रिया मौजूद नहीं है. मरीज से बातचीत के जरीए और लक्षणों के आधार पर ही डाक्टर इस की पुष्टि करते हैं. डाक्टर को इस बात का पता लगाने की आवश्यकता हो सकती है कि किस प्रकार के बैक्टीरिया के कारण पीआईडी की समस्या हो रही है. इस के लिए क्लैमाइडिया की जांच की जाती है. फैलोपियन ट्यूब्स में इन्फैक्शन का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड किया जा सकता है. पीआईडी का इलाज ऐंटीबायोटिक्स द्वारा किया जाता है. मरीज को दवा का कोर्स पूरा करना जरूरी होता है.
पीआईडी के बाद प्रैगनैंसी
जिन महिलाओं में पीआईडी के बाद प्रजनन अंग क्षतिग्रस्त हुए हैं, उन्हें फर्टिलिटी विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए ताकि सेहतमंद गर्भावस्था को बनाए रखा जा सके. पैल्विक इन्फैक्शन के कारण गर्भाशय के बाहर प्रैगनैंसी होने का खतरा 6-7 गुना तक बढ़ जाता है. इस खतरे को दूर करने और फैलोपियन ट्यूब्स में समस्या होने पर आईवीएफ थेरैपी कराने की सलाह दी जाती है, क्योंकि आईवीएफ के जरीए ट्यूब्स को पूरी तरह पार किया जा सकता है. फैलोपियन ट्यूब्स में किसी प्रकार का अवरोध होने की स्थिति में रिप्रोडक्टिव टैक्नोलौजी ट्रीटमैंट की सलाह दी जाती है.
- डा. सागरिका, आईवीएफ ऐक्सपर्ट, इंदिरा हौस्पिटल, नई दिल्ली
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