क्या है बाइपोलर डिसऑर्डर ?

क्या है बाइपोलर डिसऑर्डर ? (What Is Bipolar Disorder ?)
कभी बहुत ज़्यादा ख़ुश रहना तो कभी डिप्रेशन में चले जाना ही बाइपोलर डिसऑर्डर कहलाता है. क्या है बाइपोलर डिसऑर्डर और कैसे इससे बचा जा सकता है? जानने के लिए हमने बात की साइकाइट्रिस्ट कार्तिक राव से.

मेनिया या ख़ुशी का फेज़
इस फेज़ में व्यक्ति ख़ुद को आत्मविश्‍वास से भरा पाता है. व्यक्ति में अगर निम्न लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
  • बहुत ज़्यादा ख़ुश रहने पर किसी को पैसे बांटना.
  • हर पल गाना सुनते रहना.
  • बहुत ज़्यादा दोस्त बनाना.
  • रात-रातभर जागना.
  • शादीशुदा होने पर भी दूसरों की ओर आकर्षित होना. इस फेज़ में बहुत मुमक़िन होता है कि व्यक्ति किसी से अफेयर करता है.
  • अपने से छोटों पर रोब झाड़ना और उन्हें मारना-पीटना.
  • ऑफिस में या अपने काम में बहुत ज़्यादा व्यस्त रहना.
  • जल्दी-जल्दी बात करना.
  • किसी भी बात पर ध्यान न लगाना. इस तरह के लोग किसी काम में अपना ध्यान बहुत देर तक नहीं लगा पाते.

बाइपोलर डिसऑर्डर में दो तरह की स्थिति होती है. एक उदासी और दूसरा प्रसन्नता. उदासी होने पर व्यक्ति इतना ज़्यादा डिप्रेस हो जाता है कि आत्महत्या जैसी ख़तरनाक कोशिश भी कर बैठता है. ख़ुशी के फेज़ में व्यक्ति बहुत ज़्यादा आत्मविश्वाश से भर जाता है और वो कुछ भी करने का माद्दा रखता है. दोनों ही स्थिति में व्यक्ति अपने आपे में नहीं रहता. इसका असर कई हफ़्ते, महीने या फिर सालों तक बना रहता है.

डिप्रेशन का फेज़
बाइपोलर डिसऑर्डर का दूसरा फेज़ डिप्रेशन को होता है. इसमें पीड़ित व्यक्ति हमेशा दुखी और निराश रहता है. व्यक्ति में अगर निम्न लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.

  • बात-बात पर ख़ुद को नुक़सान पहुंचाने या फिर मरने की बात करना.
  • ऑफिस या फिर अपने काम से बहुत परेशान रहते हैं.
  • भविष्य को लेकर हमेशा चिंतित रहते हैं.
  • हमेशा उदास रहना और किसी से संबंध न रखना.
  • ग़ुस्सा होना.
  • ख़ुशी के माहौल में भी उदास रहना.
  • वज़न बढ़ता-घटता रहता है.
  • अपने आप को अपराधी महसूस करना.
  • किसी बात का याद न रहना.

क्या है कारण?
इस बीमारी का कोई एक कारण नहीं है. कभी ये जेनेटिक तो कभी न्यूरोट्रांसमीटर इम्बैलेंस, एबनॉर्मल थायरॉयड फंक्शन, हाई लेवल ऑफ स्ट्रेस आदि के कारण होता है.

कैसे करें ट्रीटमेंट?
बाइपोलर डिसऑर्डर पूरी तरह से क्यूरेबल है. मनोचिकित्सक की मदद से पीड़ित व्यक्ति फिर से पहले जैसा हो सकता है. कैसे करें इलाज? आइए, जानते हैं.
  • नियमित रूप से दवाइयों के सेवन से पीड़ित व्यक्ति को राहत मिलती है और वो जल्दी ठीक होता है.
  • इससे पीड़ित व्यक्ति को पर्याप्त नींद की ज़रूरत होती है.
  • दवाइयों के साथ रेग्युलर थेरेपी भी लें. इससे जल्दी राहत मिलती है.
  • अपनी दुनिया से बाहर आएं और दूसरों के साथ बातचीत करना, घूमना-फिरना आदि की आदत बढ़ा दें.
  • इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को पूरी तरह से सहयोग करें.
  • प्रतिदिन एक्सरसाइज़ और मेडिटेशन करें.
  • धैर्य रखें. ये कोई इस तरह की बीमारी नहीं है जो ठीक न हो. इसलिए मन में विश्वास रखें. समय के साथ आप पूरी तरह से ठीक हो जाएंगे.


मिथक
बहुत से लोगों का मानना है कि बाइपोलर डिसऑर्डर से ग्रसित व्यक्ति नॉर्मल लाइफ नहीं जी सकता. जबकि ऐसा कुछ नहीं है. विशेषज्ञों के अनुसार इस बीमारी से ग्रसित लोग पूरी तरह से नॉर्मल और फैमिली लाइफ एंजॉय करते हैं. ऑफिस से लेकर घर तक की सभी ज़िम्मेदारियों को वो बख़ूबी निभाते हैं. इन्हें देखकर अंदाज़ा लगाना मुश्किल होता है कि ये किसी तरह की बामारी से पीड़ित हैं.

100 में से एक को होता है. आमतौर पर इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति की उम्र 20 वर्ष से अधिक होती है, लेकिन कई मामले ऐसे भी हैं, जिसमें 14 साल के बाद के बच्चे भी इससे ग्रसित हुए हैं.

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